Friday, January 21, 2011

घोटालो की घुट्टी



आज़ादी के ६३ साल में छप्पर फाड़ घोटाला ,अगर गिनाऊ,तो अर्धसतक ही नहीं सायद सतक तक बन जाये ,मतलब हर ७ महीने पर बम्पर घोटाला ,होता है हमारे भारत में ,हर्सद मेहता हो ,या स्पेक्ट्रम ए. राजा कोई भी पार्टी कोई भी क्षेत्र बची नहीं है ,सब के सब दागदार है ,और इसीलिए शतक बन गया है ,अनाज से लेकर आसमान तक हर जगह घोटाला ,ए राजा जी का नाम तो सुल्तान ए बादशाह होना चाहिए ,ये समझ में नहीं आ रहा वो इतना पैसा रखेगे कहा ,१ लाख ७६ हजार करोड़ ,
बाप रे ,
असल में कहा जाय तो ये घोटाले बाज़ ही आज के कुबेर है ,हमारी भारतीय नोट हरे से नीला होना पहचान है ,पर यदि नोट ही गिला हो तो कैसे पहचान हो ,?
इतने पैसे से तो हम किसी भी छोटे मोटे द्वीप या देश को खरीद सकते है ,स्विस को भी ले लेते है ,
या फिर धरती पर ही स्वर्ग की रचना कर सकते है ,या फिर देश की किसी भी छोटे मोटे नहीं बड़ी समस्या भूकमरी,अशिक्षा ,बेरोजगारी ,आदि को बड़े आसानी से दूर कर सकते है ,इसका ९०% ९५% प्रतिसत विस्वास है मुझे ,हद तो तब हो जाति है ,जब ४० करोड़ के गबन के लिए १४० करोड़ खर्च हो जाते है ,
बेवकूफी की हद है ये ,ये भारत में ही होता है ,
क्या यही भारत देश है ,जिसकी चमक पूरा विश्व देखता है ,पर यदि रक्षक ही भक्षक हो जाये तो क्या हो ,?
देश का नमक खाकर क्या ब्रस्ताचार उचित है ,?
भ्रटाचार बढ़ना मतलब देश के वीरो को आज़ादी के वीरो को गाली देना ,देश से गद्दारी क्या हमारा पेट भर जा रहा ,सुख -चैन से है ,यही काफी नहीं ,
अपने बच्चो की परवाह न करो ,देश को एक आधार दो ,बच्चो को अपने पैरो पर चलने की ताकत दो पोलिओ नहीं दो ,
यदि हम किसी   वस्तु को खरीदते है , तो उस पर का होलोग्राम ,नाम ,आई ,एस ,आई मार्क ,certificate ज़रूर देखते है ,तो फिर समाज में ,चयन में केवल ज्ञान क्यों देखा जाता है ,
जिस प्रकार नेवले का साप से बैर होता है ,उसी प्रकार हमें जहरीले ,धीरे -धीरे खोखला  करते भ्रस्ताचार ,केवल अपना और अपने लोगो तक ही सिमित लोगो से बचना चाहिए ,
सदभावना दिखानी है तो ,फिर पैसो की बात कहा आती है ,आदर्श स्थापित करने वाले २-४ है ,अंत में यही भ्रस्ताचार वह दीमक है ,जो हरे भरे ,पेंड -पौधों को सुखा देता है ,केवल ढांचा दीखता है ,पर ईर्ष्या और द्वेष तो पनपने भी नहीं देना चाहता ,
भ्रस्ताचारियो के लिए -----
जागरूक ,जागृत ,जनहित वाले ही घोटालो के खिलाडी है ,
भोली भाली अनपढ़ जनता लगती उन्हें अनाड़ी है ,
एक लोग से दुसरे तक लूटो पैसा यही एक महामारी है ,
जो बच गए उनके लिए छुट्टी कि,,, बीमारी है ,
अगली पीढ़ी भी बोलती है ,अब हमारी बारी है ,,,,
लेखक ;-भ्रताचारियो से दूर
रविकान्त यादव एम् कॉम २०१० watch my ब्लॉग indianthefriendofnation .blog spot .com  also .......



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