हमारा सम्बिधान २६ जनवरी १९५० को लागू हुआ ,डॉ भीम राव अम्बेडकर द्वारा लिखित है ,जो अथक परिश्रम की देन है ,
इसे पूरा होने में २ वर्ष ११ महीने और १८ दिन लगे ,लगभग ३ वर्ष ,
आज यह ६१ वर्ष पूरे कर रहा है ,
जो काम हमारे शरिर में अस्थि तंत्र का है ,वही कार्य हमारे देश में गणतंत्र का है ,हमारे संबिधान में ५११ धारा,३९५ अनुच्छेद ,और १२ अनुशुचिया है ,|
हमारे रास्ट्रीय ध्वज में स्थापित चक्र के बीच तीलिया हमारे कुल राज्यों की संख्या है ,कोई भी कानून ऊपर से ओस की तरह नहीं आया है ,
उसे हमारा ही कोई हमारे लिए बनाता है ,अगर ऐसा न होता तो क्या हम ये नियम क़ानून किसी निर्जन द्वीप पर न चलाते ,अफ़सोस वहा हमारी अकेली दुनिया ही नर्क बन जाएगी ,कोई भी संबिधान हो अगर उसके संचालक में मानवता ,दया ,प्रेम न हो तो चाहे वह स्वर्ग का ही कानून क्यों न हो ,फीका पड़ जायेगा ,अतः सब कुछ आत्मबोध व आत्मसंयम और आत्मचिंतन पर निर्भर करता है ,|जिसमे विक्रम -वेताल के खेल का दोनों नजरिया है ,पर हमें एक की जरूरत है , क्यों कि कानून किसी की जागीर नहीं है ,ये आम जनता का है ,
समय आ गया है ,जो कुछ हमें आज़ादी के बाद मिला है ,समय के साथ उस नियम कानून में भी बदलाव करे ,या संशोधन ,संक्रमित अंग की मरहम पट्टी होती है ,और कुछ रोग पर शरिर या उसे काट कर अलग भी कर दिया जाता है ,नीर क्षीर विवेका हंस प्रथम हो ,||
हमारे ६१ साल के अनुभव ,ज्ञान ,नीजता, से समाज के लिए कूबड़ बने नियम या तो बदले जाय या उन्हें हटा दिया जाय ,क्यों की ये वही संबिधान है ,जो लोगो में शरद पूर्णिमा का खीर साबित होता है ,और नागरिक देर सबेर उस चाँद और खीर दोनों को तकते रहते है ,|
एक अंग्रेजी फिल्म में पाइरेट ऑफ़ the कैरबियन में बताया गया है ,कायदे हमारे सहूलियत के लिए बनते है ,हलाकि फिल्म डाकुवो पर है ,|
बड़े से बड़ा पद सिर्फ इसलिए चाहिए की लोग हमारी पूजा करे ,जबकि पद कर्तव्य के लिए होना चाहिए ,निष्ठा से कर्तव्य निर्वहन ,और जिम्मेदारी कौन समझता है ?हा रस्म जरूर निभाई जाति है ,|
गरीब का घर फूककर रोटिया सेंकी जा सकती है ,और कानून संबिधान वही का वही है ,बहुत हो गयी मरहम पट्टी अब देश के घाव का स्थायी उपचार की ज़रुरत है ,विक्रम -बेताल का खेल केवल कहानी में देखने सुनने में अच्छा है ,|मेरी इच्छा -है की प्रतेक जगह मीडिया आदि में सरकार ने ये -वो की जगह जनसरकार ने ये किया वो किया होना चाहिए ,
त्याग ,तपस्या ,तत्परता ,तत्वज्ञानी ,और ताकत होना ही देश का कल्याण है ,||||
जय हिंद ...........
लेखक ;- एक नागरिक
रविकान्त यादव , एम् .कॉम २०१०
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