Friday, August 30, 2013

जुर्म (crime and criminal)

जुर्म की कालिख ऐसी होती ही है  , जिसे आप टच करेगे वह उसे भी लग  जाएगी , अतः इसके धब्बे बढ़ते रहेगे एक कहावत है, बद तो अच्छा ,बदनाम बुरा ,|

एक फिल्म मे कहा गया है , गटर का कीड़ा अगर काट ले तो आदमी बीमार पड़ जाएगा ,परंतु  समाज की गंदगी का कीड़ा अगर काट ले तो सारा समाज लाइलाज बीमार पड़ जाएगा |
जरूरत है , पीड़ित से पहले , न्याय को उस तक पहुच हो ,|

एक नेता है, तो आयकार छापा नहीं हो सकता क्यो की वह एक कद्दावर नेता है |
एक डॉक्टर है, तो उसके यहा टेस्ट (जांच) नहीं हो सकती क्यो की वो एक डॉक्टर है |
एक शिक्षक के विरूद्ध लिखा पढ़ी नहीं हो सकती क्यो की वो एक शिक्षक है |
एक पुलिस को फांसी नहीं हो सकती क्यो की वो एक कानून का पुलिश है |
एक धर्मगुरु को धर्म से बहिस्कार नहीं किया जा सकता क्यो की वो एक बहुत बड़ा धर्मात्मा है |
क्या यही न्याय है , |

या न्याय उसकी ढाल बन गया है ,|जुर्म तो होते रहते है , परंतु जरूरत हो जुर्म को बढ़ावा देने वाले कारको को खोज कर उन्हे बंद करने की , इसके लिए आवयसक है ,न्याय प्रक्रिया मे सुधार हो और मनमानी बंद हो ,क्यो की कोई पद न्याय को रोक नहीं सकता या रोक सकता है  ????????
       
                लेखक-पीड़ित ..रविकान्त यादव

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