एक नास्तिक थे ,जब उन्हें कोई काम न रह गया तो खुराफात सूझी , रात में चुपके से निकलते और मंदिर आदि अन्य धार्मिक स्थानो पर रखे धर्म -कर्म के सामान तोड देते , फेक देते,निरादर करते , इसी क्रम में एक दिन वो एक छोटे से गाँव गए , रात में गाँव के ही पास बने छोटे से मंदिर में गया वहा रखे तमाम मंदिर से जुडी चीज़े फेंकी गयी थी । कुछ मुर्तिया टूट भी गयी थी ।
सुबह गाँव वाले जुट गए तरह तरह से उस अधर्मी को कोसने लगे अधिकतर कह रहे थे , उस पापी का हाथ टूट जाये , तभी वह अधर्मी भी भींड में से बोला हाँ , उस अधर्मी पापी का हाथ टूट जाय परन्तु उसके टूटे हाथ को कोई गौर नहीं कर रहा था ,दरसल रात में लौटते वक्त अँधेरे में वह सीढ़ियों से गिर पड़ा था, और उसका हाथ वास्तव में बुरी तरह टूट गया था ।
लेखक;- जनभावना के साथ -रविकान्त यादव
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