ईद इस्लाम धर्म का सबसे बड़ा पर्व है , इसमें मुस्लिम बंधु महीने भर व्रत -उपवास रखते है,इस रमजान के पाक महीने में नर्क के दरवाजे बंद कर दिए जाते है,| यानि स्वर्ग का सम्मान मिलता है,| ईद पर चाँद देखना इस बात का संकेत देता है, कि इमान पर दाग न लगने दो |
अमिन एक गरीब व्यक्ति था ,परन्तु अल्लाह के करम से मेहनत-मजदूरी कर कुछ पैसो से जीविका चला लेता था,उसकी इच्छा थी ,किसी तरह पेट काट कर हज करने के लिए भी पैसे इकठ्ठा करता , धीरे -धीरे कुछ पैसो का इंतजाम होता गया ,हज के लिए समूह जत्था रवाना हुआ वह भी उस टोली में शामिल हो गया, पुरे ख़ुशी और उत्त्साह में काफिला चल पड़ा ,रास्ते में गया तो उसे एक वृद्ध व्यक्ति मिला जो शरीर से गला , भूख से व्याकुल अपने साथ लेने का आग्रह करता सभी उससे मुह फेर लेते है| पर आमीन से उसके अन्दर के दर्द -तड़प -व्याकुलता को सहा न गया ,उसने अपना सभी हज का पैसा व हाजी नाम उस बुड्ढे को देकर घर चला आता है,| आँखों में आंसु लिए वह अल्लाह को याद करते भूखे पेट सो गया,|
रात में उसे सपना आया खुदा कह रहे थे ,अमीन तुम मेरे सच्चे हाजी हो, दुसरो के दर्द में अपना दर्द खोजने महसूस करने वालो को मै कभी निराश नहीं करता||दुसरे दिन हडबडाहट -घबराहट में उठा अमीन अल्लाह का शुक्रिया अदा कर जैसे ही ,कपडे की आलमीरा से जुम्मे की नमाज़ के लिए टोपी लेने के लिए आलमीरा खोलता है,उसे मक्का -मदीने की तस्वीर और सोने के
सिक्को से भरी एक पोटली पड़ी मिलती है,|अब वह अल्लाह का लाख -लाख शुक्रिया अदा कर आँखों से आंसु बहा रहा था,| क्यों कि उन आंसुवो पर उसका स्वयं नियंत्रण नहीं था ,|
लेखक;- भाईजान .......रविकांत यादव
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