*गलती हमारी जुबान करती है , दर्द हमारे दिल को होता है , व शिकायत हमारी आँखें करती है ,अतः कह सकते है ,किसी एक की वजह से तमाम लोग पीड़ित होते है ।
* सोच व कर्म के जरिये हमारे अस्तित्व का निर्माण होता है ।
*कानून तभी तक सार्थक है , जब तक इसके रखवालो को भी इसका डर हो , और वो अपने सीमा में रहे ।
* ताक़त पर नियंत्रण न होने पर वह आत्मघाती होगा ।
*रोज चमकने वाले सूरज भी ग्रहण से अंधकारमय हो जाता है , अर्थात सौ अच्छाई पर एक बुराई भारी पड़ जाती है ।
* हमारा वर्तमान हमारे भूत से जुड़ा हुआ है ,जो नजरो का भ्रम है , दीखता नहीं , भविष्य हमारे कर्म ,ज्ञान, समझ , वर्तमान से स्वयं का ढांचा बुनता है ।
* अगर एक सरकारी शिक्षक अपनी तपस्या का १० प्रतिसत भी उदारता के साथ ज्ञान दे तो देश के बेहतर भविष्य को कोई नहीं रोक सकता ।
* घोर कांटो वाले बेर , बेल, भी अच्छा फल देते है , अतः सारा फेर नजरो का है , अतः दरिया दिल होना चाहिए ।
* दिल महसूस करने की क्षमता प्रदान करता है , यदि आप अच्छे बुरे में फर्क महसूस नहीं कर सकते तो आप इंसान नहीं है , क्यों कि स्वार्थी दिमाग आपको नचाता रहेगा , अंततः जाएगा ।
* दिल में नेकी हो तो वह कार्य आसान बन जाता है ।
* एक थके उदास चेहरे पर खुसी लाना बहुत बड़ी बात है ।
* गुड की असली मिठास तो उसके बधने में है ।
* महानता पूछ कर नहीं आती ,अवसर बनाता है ।
* सिखने और सिखाने की कोई उम्र नहीं होती है , हर उम्र में चुनौतियां है ।
* हमारे भाग्य में क्या लिखा है , ये कोई नहीं जानता , परन्तु हम भाग्य में क्या लिख सकते है , ये सभी जानते है ।
* कोई जरुरी नहीं की शेर के बच्चे शेर ही बने , शेर बनने के सपने में वो बिलार बन जाते है ।
* शाप दिया भी जा सकता है। और लिया भी पर गलत भावना से शाप उल्टा असरकार आप के पास ही लौट आता है ।
*किसी का मजाक बनाने वाले अपने को छिपाने वाले , होते है , उनके लिए निंदनीय , शर्म , और गिरी हुई बात है ।
*कुछ बनाने के लिए कुछ समझना बहुत जरुरी है ।
* प्रतिशोध लेने से पहले सोच लो क्या तुम इसके काबिल हो ,शायद नहीं ।
*अँधेरे में परछाई भी साथ नहीं होती अतः दिशाहीन नहीं होना चाहिए ।
* तुम्हे क्या चाहिए , सोचो क्या तुम ,वास्तव में उस योग्य हो दिल की धड़कनो को आँखे बंद कर सुनो अगर वह सुनाई दे तो , तुम्हे जो चाहिए मांग लो , वह समय के साथ अवशय पूर्ण होगी ।
*न मै गलत हु न आप तो फिर ऐसी कोई ताक़त नहीं जो आपको और हमें मिलने से रोक सके ।
* क्यों हतोउत्साहित होते हो , नदी का रास्ता तमाम पत्थर ,व घुमाव रोकते है , परन्तु उसकी पवित्रता भंग व राह रोक नहीं सकते , दुनिया वाले तमाम तरह से तुम्हे परेशान कर सकते है , परन्तु ध्यान रहे तुम एक नेक काम के लिए जा रहे हो इसकी पूर्णता तक तुम्हे कुछ नहीं हो सकता , यह तुम्हारे भस्िय में यश का मार्ग है , यदि कुछ होता भी है , तो तुम्हे ईश्वरीय सानिध्य प्राप्त होगा , यही पवित्र जीवन की नियति है , उठो और स्वार्थ रहित नेक कार्य की तरफ कदम बढ़ाओ ।
* हर युग में रावण होगा तो राम भी होगे ।
* महाभारत में शाप पाने के बाद राजमहल छोड़ पाण्डु जंगल में रहने लगते है , पर शाप से पीड़ित परेशान , व्याकुल पाण्डु , ने देखा कुछ महात्मा लोग कही जा रहे है , उन्होंने पूछा आप लोग कहा जा रहे है , कृपया मुझे भी साथ ले ले , तब महात्मा लोगो ने कहा "हम लोग इंद्र के दरबार में भोज खाने जा रहे है " तू वह नहीं जा सकता , क्यों की ? तू पुत्रहीन है , और पापी भी पाण्डु विलाप करते हुए वापस आ जाते है , बाद में वो पांडवो के पिता कहलाये अतः समय सबसे बड़ा शिक्षक है ।
* एक लकड़ी से दूसरे लकड़ी को काटना असंभव के आसपास है ।
* अच्छाई के लिए त्याग किया जाता है , व बुराई के लिए परित्याग ।
*ईश्वर ने बहुत सोच समझ कर मानव शरीर दिया है , अतः ईश्वर उन्ही का साथ देता है , जिनमे कर्म करने की क्षमता हो ।
* आपको जो बनना पहले उसके अनुसार ढलो अपना आकर निश्चित करो क्यों की एक निश्चित आकार के बर्तन को भरने पर और नहीं भरा जा सकता ।
*समझदारी जानकारी से अच्छा दोस्त कोई दूसरा नहीं है ।
* प्यार एक ऐसी ताक़त है , जिसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है ।
* आज यदि आप पैसा रखो तो अपनी सुरक्षा भी रखो ।
*प्यार , पैसा , प्रतिष्ठा तीनो को बना कर रखना जीवन में उपलब्धि वाली बात है ।
* नाली का कीड़ा नाली में ही मौज़ करेगा रहेगा , अतः उसी प्रकार गंदे लोग बुरे विकल्प में ही मज़ा पाते है ।
* दुनिया कर्म और प्रेम पर चल रही है ।
*तन्हाई हमें अपना मकसद बता देती है , ।
*झुण्ड से बिछुड़े पक्षी को बदहवास उड़ते चिल्लाते तो सभी ने देखा होगा पर वह क्यों बिछड़ा यह बहुत कम ही जानते होगे ।
* अच्छे लोग होते है , और बिना किसी स्वार्थ , पहचान , उपकार के आपको अचानक मदद भी करते है ।
* मज़बूरी जताने वाले आत्म निर्भर विजेता नहीं बन सकते ।
* वह परिपक्वता किस काम की जब जीने -जीलाने की खुशिया ही न रहे ।
* अपना कार्य स्वयं करने करने की काबिलियत हो ,वरना अपना चारा तो जानवर भी ढूंढ लेते है ।
*क्या एक साथ दो नावों की सवारी संभव है , हां जब दोनों एक साथ बंधी हो परन्तु कुछ समय बर्बाद जरूर जायेगा ।
*किसी चीज़ को पाने की जरुरत हो , पागलपन नहीं ।
* जीत आपको मौके देती है , कई मौके नहीं ।
* आज़ादी हमें सोचना सीखा देती है ।
*शांति में अन्य बाधा खलने लगती है ।
* तुम किसे ढूंढ रहे हो , मै तुम्हारे आस- पास हु बस तुम्हे अपनी नजरो पर भरोसा कर लम्हों व कर्म में उतरना होगा ।
*अमर होना बहुत छोटी बात है , क्यों की पहले जीना सीख लो ।
* अभाव हमें तपस्या करना सिखाता है ,और सच्चे कर्म को प्रेरित करता है ।
* किसी दशा में ईमान से समझौता नहीं करना चाहिए इसे बरकरार रखना दुर्लभ शक्ति है ।
* देश क्या है , उत्तर होगा देश हम है ।
* हम भारतीय पत्थरो पर सर नहीं झुकाते उस पत्थरो में बसने वाले अडिग, अटल, कठोर सिद्धांतो के आगे सिर झुकाते है ।
* जीने के लिए शांति की जरुरत होती है , और शांति के लिए मौत की ।
* आज तुम जो भी हो अपने पिछले कर्मो की वजह से ।
* अच्छा बनने का मन्त्र है , मै तुम्हारे जैसा नहीं हु , क्यों की मै तुमसे अच्छा बेहतर बनुगा ।
* विद्या देने में कंजूसी वाले सिमित हो जाते है ।
* भारत एक ऐसा देश है , अगर कोई त्यौहार रविवार को पड जाये तो त्यौहार का मज़ा ही बिगड़ जाता है ।
* देश का विकास शर्तो पर नहीं होता , जूनून व देशभक्ति से होता है ।
* ह्रास हर व्यापर का निकटतम सम्बन्धी है ।
* युगो बदल जाते है ,पर प्रेम वही का वही रहता है ।
*मै भूत हु ,वर्तमान हु, और भविष्य हु , मै ही राम हु मै ही रहीम हु क्योकि इसका कारण ये है , मै तुममे हु और तुम मुझमे हो ।
*शायद दोस्ती की मिठास से मीठा कुछ भी नहीं है , शहद भी नहीं ।
* हम यहाँ जीने आए है मरने नहीं तभी तक जब तक अच्छे कार्य करे ।
* अच्छे व्यक्तियों के लिए अपना ही धर्म समझने में जीवन बीत जायेगा दूसरे धर्म की तो बात ही छोड़ दे ।
* यदि आप बुरे है तो अपने उसी काम के लिए एक नौकर रख ले ।
* मेहनती लोग इज्जत के काबिल होते है ।
* गाँव , शहर , राज्य या देश की बागडोर आपको मिले तो बड़ा दुःख होगा क्यों की सके लिए २४ घंटे सोचना ही नहीं वरन कार्य भी करना पड़ेगा ।
* कभी कभी शांति आत्मघाती साबित हो सकती है , चाहे वह वर्तमान हो , तुलना हो, नज़ारे हो , या फिर हितकर भविस्य हो ।
* कुछ लोग यह नहीं सोचते उन्हें कौन सी ट्रैन पकड़नी है , क्या फर्क पड़ता है , कही न कही तो पहुंच ही जायेगे
लेखक;- विचारक......... रविकान्त यादव join me on facebook.com/ravikantyyadava
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