Wednesday, July 6, 2016

पर्यावरण पंचामृत ( environment nectar ) HAPPY वन महोत्सव

जिस प्रकार देव पूजा में पंचामृत  में, दूध , दही , घी, शहद और शक्कर श्रेष्ठ भोग प्रसाद है , उसी तरह  धरती पर पर्यावरण हेतु ,   बरगद , पीपल, नीम , पाकड़ , व जामुन है ।   ये सर्वोत्तम है , । 
इनकी जरुरत पर्यावरण की दृष्टि से बहुत बहुत ही जरुरी है , जरुरत है इनकी संख्या को पौधरोपण  कर बढ़ाने की । 
पीपल  के नीचे ही महात्मा बुद्ध को ज्ञान ( बोधित्व) प्राप्ति हुई थी , । 
वट वृक्ष के नीचे ही  सत्यवान को पुनः जीवन मिला था , जिसे वट सावित्री  व्रत पर्व हर वर्ष मनाया जाता है , भारत  राष्ट्रीय वृक्ष भी बरगद है । हिन्दू धर्म में इसे अक्षय वट भी  कहा गया है । 

पीपल के बारे में कहा गया है , जड़ में ब्रह्मा ,तने में विष्णु ,व ऊपर शिव का वास है , शनिवार को संकट मुक्ति हेतु शाम को पीपल के नीचे शनिदेव को दीप दान करने का भी बिधान है । 
भगवान् कृष्ण ने गीता में कहा है , वृक्षों में मैं पीपल हु । 


नीम सभी चर्म रोगों  खून की अशुद्धियों को दूर करती है , इनमे शीतला माता का वास माना जाता  है , । 
नवरात्र भर पूजा का विधान है । चेचक जैसी महामारी में कारगार । 

पाकड़ के नीचे ही भगवान् महावीर , व बाबा नानक ने अपना विश्राम  स्थल या विश्राम किया था । 

जामुन भगवान् गणेश का प्रिय फल है ।

इन 5 पेड़ों की विशेषता औषधीय गुण व सबसे ज्यादा ऑक्सीजन छोड़ने की वजह से मैंने इन्हे पर्यावरण पंचामृत का नाम दिया है । इन 5 को  लगाने पर आयु , संतान, धन,भाग्य , विद्या , पुत्र रत्न , की वृद्धि का वर्णन भविष्य पुराण में कहा गया है । वही इन्हे काटने पर  इन सब की हानि होती है । अतः इन्हे काटना नहीं चाहिए , 

किसी भी पौधों (पेंड)को जन्मदिन पर रोपने की भी परम्परा है , पेंड पौधों को लगाने का यह मौसम सर्वोत्तम  माना जाता है । बेहिसाब पेंडो  का कटना बंद हो । 

हर धर्म का पेंड हो सकता है , परन्तु पेंडो का कोई धर्म नहीं होता ये अपनी सेवाएं बिना भेद भाव के बिना शुल्क के जारी रखते है , इसी तरह मानव अच्छाई भी होती है , । जो भेद भाव से परे हो । 

हिन्दू धर्म के पवित्र या धार्मिक पेंड ;- पीपल,नीम,आंवला,केला,तुलसी,शमी,नारियल,वटवृक्ष,(वरगद) पारिजात, चन्दन,रुद्राक्ष, बेल  आदि माने गए है । 



मुस्लिम धर्म का पवित्र पेंड ;- खजूर 

सिख धर्म का पवित्र पेंड ;- बेरी (बेर)

ईसाई धर्म का पवित्र पेंड ;- जैतून, क्रिसमस ट्री 



बौद्ध धर्म का पवित्र पेंड ;- बोधि वृक्ष ( जिसे पीपल भी कहते है ) और अशोक का पेंड 

जैन धर्म का पवित्र या धार्मिक पेंड ;-कल्प वृक्ष (कल्प तरु ) found but rare and identification , mention in hindu mythology इसे हिंदी में गोरख इमली कहते है , इसका biological (scientific name )adansonia digitata है । 

यज्ञ में प्रयुक्त होने वाली पेड़ों की टहनियाँ या लकड़िया ;- आम, चन्दन, अगर टगर के पेंड की टहनियाँ, देवदार, ढाक (जिसे पलाश या टेसू भी कहते है ) बेल, पीपल, बरगद, खैर, शमी, गूलर, जाटी, जामुन की पत्ती या लकड़ी,  

यज्ञ के प्रकार , यज्ञ  से देवता प्रसन्न होते है , अच्छी बारिश होती है , व पर्यावरण खुशगवार  बनता है , व क़र्ज़ चुकता है । 
यज्ञ के प्रकार ;-
वैसे तो कई प्रकार के यज्ञ होते है , परन्तु प्रमुख व मुखयतः 5 प्रकार  के ही यज्ञ है ;-
१) ब्रह्म यज्ञ (ज्ञान हेतु)
२) देवयज्ञ ( कृपा हेतु )
३) पितृ यज्ञ ( श्राद्ध करना  )
४) भूत यज्ञ ( पंचमहाभूत स्वयं  के लिए  ) आत्म शुद्धि व कल्याण हेतु 
५) अथिति यज्ञ ( सेवा )

अन्य यज्ञ जैसे अश्व मेघ यज्ञ राजसूय यज्ञ आदि आते है । 
यज्ञ  कराने वाला व्यक्ति संस्कृत से शास्त्री हो । 

लेखक;- पर्यावरण प्रेमी ......... रविकान्त यादव for more ;-facebook.com/ravikantyadava 












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