जिस प्रकार देव पूजा में पंचामृत में, दूध , दही , घी, शहद और शक्कर श्रेष्ठ भोग प्रसाद है , उसी तरह धरती पर पर्यावरण हेतु , बरगद , पीपल, नीम , पाकड़ , व जामुन है । ये सर्वोत्तम है , ।
इनकी जरुरत पर्यावरण की दृष्टि से बहुत बहुत ही जरुरी है , जरुरत है इनकी संख्या को पौधरोपण कर बढ़ाने की ।
पीपल के नीचे ही महात्मा बुद्ध को ज्ञान ( बोधित्व) प्राप्ति हुई थी , ।
वट वृक्ष के नीचे ही सत्यवान को पुनः जीवन मिला था , जिसे वट सावित्री व्रत पर्व हर वर्ष मनाया जाता है , भारत राष्ट्रीय वृक्ष भी बरगद है । हिन्दू धर्म में इसे अक्षय वट भी कहा गया है ।
पीपल के बारे में कहा गया है , जड़ में ब्रह्मा ,तने में विष्णु ,व ऊपर शिव का वास है , शनिवार को संकट मुक्ति हेतु शाम को पीपल के नीचे शनिदेव को दीप दान करने का भी बिधान है ।
भगवान् कृष्ण ने गीता में कहा है , वृक्षों में मैं पीपल हु ।
नीम सभी चर्म रोगों खून की अशुद्धियों को दूर करती है , इनमे शीतला माता का वास माना जाता है , ।
नवरात्र भर पूजा का विधान है । चेचक जैसी महामारी में कारगार ।
पाकड़ के नीचे ही भगवान् महावीर , व बाबा नानक ने अपना विश्राम स्थल या विश्राम किया था ।
जामुन भगवान् गणेश का प्रिय फल है ।
इन 5 पेड़ों की विशेषता औषधीय गुण व सबसे ज्यादा ऑक्सीजन छोड़ने की वजह से मैंने इन्हे पर्यावरण पंचामृत का नाम दिया है । इन 5 को लगाने पर आयु , संतान, धन,भाग्य , विद्या , पुत्र रत्न , की वृद्धि का वर्णन भविष्य पुराण में कहा गया है । वही इन्हे काटने पर इन सब की हानि होती है । अतः इन्हे काटना नहीं चाहिए ,
किसी भी पौधों (पेंड)को जन्मदिन पर रोपने की भी परम्परा है , पेंड पौधों को लगाने का यह मौसम सर्वोत्तम माना जाता है । बेहिसाब पेंडो का कटना बंद हो ।
हर धर्म का पेंड हो सकता है , परन्तु पेंडो का कोई धर्म नहीं होता ये अपनी सेवाएं बिना भेद भाव के बिना शुल्क के जारी रखते है , इसी तरह मानव अच्छाई भी होती है , । जो भेद भाव से परे हो ।
हिन्दू धर्म के पवित्र या धार्मिक पेंड ;- पीपल,नीम,आंवला,केला,तुलसी,शमी,नारियल,वटवृक्ष,(वरगद) पारिजात, चन्दन,रुद्राक्ष, बेल आदि माने गए है ।
मुस्लिम धर्म का पवित्र पेंड ;- खजूर
सिख धर्म का पवित्र पेंड ;- बेरी (बेर)
ईसाई धर्म का पवित्र पेंड ;- जैतून, क्रिसमस ट्री
बौद्ध धर्म का पवित्र पेंड ;- बोधि वृक्ष ( जिसे पीपल भी कहते है ) और अशोक का पेंड
जैन धर्म का पवित्र या धार्मिक पेंड ;-कल्प वृक्ष (कल्प तरु ) found but rare and identification , mention in hindu mythology इसे हिंदी में गोरख इमली कहते है , इसका biological (scientific name )adansonia digitata है ।
यज्ञ में प्रयुक्त होने वाली पेड़ों की टहनियाँ या लकड़िया ;- आम, चन्दन, अगर टगर के पेंड की टहनियाँ, देवदार, ढाक (जिसे पलाश या टेसू भी कहते है ) बेल, पीपल, बरगद, खैर, शमी, गूलर, जाटी, जामुन की पत्ती या लकड़ी,
यज्ञ के प्रकार , यज्ञ से देवता प्रसन्न होते है , अच्छी बारिश होती है , व पर्यावरण खुशगवार बनता है , व क़र्ज़ चुकता है ।
यज्ञ के प्रकार ;-
वैसे तो कई प्रकार के यज्ञ होते है , परन्तु प्रमुख व मुखयतः 5 प्रकार के ही यज्ञ है ;-
१) ब्रह्म यज्ञ (ज्ञान हेतु)
२) देवयज्ञ ( कृपा हेतु )
३) पितृ यज्ञ ( श्राद्ध करना )
४) भूत यज्ञ ( पंचमहाभूत स्वयं के लिए ) आत्म शुद्धि व कल्याण हेतु
५) अथिति यज्ञ ( सेवा )
अन्य यज्ञ जैसे अश्व मेघ यज्ञ राजसूय यज्ञ आदि आते है ।
यज्ञ कराने वाला व्यक्ति संस्कृत से शास्त्री हो ।
लेखक;- पर्यावरण प्रेमी ......... रविकान्त यादव for more ;-facebook.com/ravikantyadava
इनकी जरुरत पर्यावरण की दृष्टि से बहुत बहुत ही जरुरी है , जरुरत है इनकी संख्या को पौधरोपण कर बढ़ाने की ।
पीपल के नीचे ही महात्मा बुद्ध को ज्ञान ( बोधित्व) प्राप्ति हुई थी , ।
वट वृक्ष के नीचे ही सत्यवान को पुनः जीवन मिला था , जिसे वट सावित्री व्रत पर्व हर वर्ष मनाया जाता है , भारत राष्ट्रीय वृक्ष भी बरगद है । हिन्दू धर्म में इसे अक्षय वट भी कहा गया है ।
पीपल के बारे में कहा गया है , जड़ में ब्रह्मा ,तने में विष्णु ,व ऊपर शिव का वास है , शनिवार को संकट मुक्ति हेतु शाम को पीपल के नीचे शनिदेव को दीप दान करने का भी बिधान है ।
भगवान् कृष्ण ने गीता में कहा है , वृक्षों में मैं पीपल हु ।
नीम सभी चर्म रोगों खून की अशुद्धियों को दूर करती है , इनमे शीतला माता का वास माना जाता है , ।
नवरात्र भर पूजा का विधान है । चेचक जैसी महामारी में कारगार ।
पाकड़ के नीचे ही भगवान् महावीर , व बाबा नानक ने अपना विश्राम स्थल या विश्राम किया था ।
जामुन भगवान् गणेश का प्रिय फल है ।
इन 5 पेड़ों की विशेषता औषधीय गुण व सबसे ज्यादा ऑक्सीजन छोड़ने की वजह से मैंने इन्हे पर्यावरण पंचामृत का नाम दिया है । इन 5 को लगाने पर आयु , संतान, धन,भाग्य , विद्या , पुत्र रत्न , की वृद्धि का वर्णन भविष्य पुराण में कहा गया है । वही इन्हे काटने पर इन सब की हानि होती है । अतः इन्हे काटना नहीं चाहिए ,
किसी भी पौधों (पेंड)को जन्मदिन पर रोपने की भी परम्परा है , पेंड पौधों को लगाने का यह मौसम सर्वोत्तम माना जाता है । बेहिसाब पेंडो का कटना बंद हो ।
हर धर्म का पेंड हो सकता है , परन्तु पेंडो का कोई धर्म नहीं होता ये अपनी सेवाएं बिना भेद भाव के बिना शुल्क के जारी रखते है , इसी तरह मानव अच्छाई भी होती है , । जो भेद भाव से परे हो ।
हिन्दू धर्म के पवित्र या धार्मिक पेंड ;- पीपल,नीम,आंवला,केला,तुलसी,शमी,नारियल,वटवृक्ष,(वरगद) पारिजात, चन्दन,रुद्राक्ष, बेल आदि माने गए है ।
मुस्लिम धर्म का पवित्र पेंड ;- खजूर
सिख धर्म का पवित्र पेंड ;- बेरी (बेर)
ईसाई धर्म का पवित्र पेंड ;- जैतून, क्रिसमस ट्री
बौद्ध धर्म का पवित्र पेंड ;- बोधि वृक्ष ( जिसे पीपल भी कहते है ) और अशोक का पेंड
जैन धर्म का पवित्र या धार्मिक पेंड ;-कल्प वृक्ष (कल्प तरु ) found but rare and identification , mention in hindu mythology इसे हिंदी में गोरख इमली कहते है , इसका biological (scientific name )adansonia digitata है ।
यज्ञ में प्रयुक्त होने वाली पेड़ों की टहनियाँ या लकड़िया ;- आम, चन्दन, अगर टगर के पेंड की टहनियाँ, देवदार, ढाक (जिसे पलाश या टेसू भी कहते है ) बेल, पीपल, बरगद, खैर, शमी, गूलर, जाटी, जामुन की पत्ती या लकड़ी,
यज्ञ के प्रकार , यज्ञ से देवता प्रसन्न होते है , अच्छी बारिश होती है , व पर्यावरण खुशगवार बनता है , व क़र्ज़ चुकता है ।
यज्ञ के प्रकार ;-
वैसे तो कई प्रकार के यज्ञ होते है , परन्तु प्रमुख व मुखयतः 5 प्रकार के ही यज्ञ है ;-
१) ब्रह्म यज्ञ (ज्ञान हेतु)
२) देवयज्ञ ( कृपा हेतु )
३) पितृ यज्ञ ( श्राद्ध करना )
४) भूत यज्ञ ( पंचमहाभूत स्वयं के लिए ) आत्म शुद्धि व कल्याण हेतु
५) अथिति यज्ञ ( सेवा )
अन्य यज्ञ जैसे अश्व मेघ यज्ञ राजसूय यज्ञ आदि आते है ।
यज्ञ कराने वाला व्यक्ति संस्कृत से शास्त्री हो ।
लेखक;- पर्यावरण प्रेमी ......... रविकान्त यादव for more ;-facebook.com/ravikantyadava
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