आकाश के तारे खोजने और गिनने बैठो तो धरती पर रेत के कण भी कम पड जाये ,।
ये तो केवल हमारी आकाश गंगा का हाल है , आकाश गंगा का अर्थ ब्रह्माण्ड में तमाम असंख्य चाँद, तारे (सूर्य) ग्रह , उपग्रह , सुपरनोवा , पुच्छल तारे , ब्लैक होल या दुनिया होता है । इनमे ब्लैक होल का रहस्य इसकी ग्रेविटी है , जिससे एक नारंगी का वजन पुरे माउंट एवेरेस्ट के बराबर होता है । इसी तरह असंख्य आकाश गंगाए (galaxy )और भी है ।
इनमे कई तारो का प्रकाश हम तक आने में लाखो करोडो साल लग जाते है । याद रहे प्रकाश की गति से बढ़कर अभी तक कुछ नहीं है , । अर्थात प्रकाश की गति सबसे तेज होती है , जिसकी स्पीड या गति 299792458 metres मीटर per second है ॥
अभी तक ब्रह्माण्ड का कोई ओर -छोर नहीं है , अनन्त है , और यह बढ़ता ही जा रहा है , विस्तारित होता जा रहा है , फिर भी अभी तक पृथ्वी (earth ) या धरती को छोड़ अन्य कही जीवन तक नहीं खोजा गया है ,या नहीं खोज जा सका है , सभ्यता की तो बात ही छोड़ दीजिये ।
तो शिव जी उन्हें एक स्थान पर जाकर दोनों को ओर -छोर पता लगाने को कहते है , । दोनों अपना -अपना दिशा उचाई और नीचाई तय कर आदि -अंत पता करने चल पड़ते है , कितने ही वर्ष बीत जाते है ,परन्तु उन्हें ओर -छोर का दूर दूर तक पता ही नहीं चलता है ,ब्रह्मा , विष्णु समझ जाते है , ओर -छोर पता लगाना असम्भव है । ऐसे में ब्रह्मा को एक केतकी का पुष्प मिलती है , ब्रह्मा उससे आदि -अंत के बारे में पूछते है , तो वह बताती है , की कई युगों से वह स्वयं ओर छोर तय नहीं कर पा रही है ।
यह कहानी ब्रह्माण्ड के ओर -छोर की तरफ ही इंगित करती है , । जब प्रमुख देवता तक ब्रह्माण्ड का आदि-अंत तक नहीं जानते तो वह कौन है ? जो ब्रह्मांड बनाता व जानता है । फिलहाल हम मानवों का विज्ञान देवताओ की तुलना में बहुत तुच्छ है ।
लेखक;- समय के यात्री.... रविकान्त यादव join me ;-facebook.com/ravikantyadava
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