Friday, March 30, 2012

यार/गद्दार


हमारे उपनिषदो  मे लिखा है , सच्चा दोस्त पाना बहुत बड़ी बात है , और कुलषित दोस्त एक जहर है |
जिनका जहर धीरे -धीरे असर करता है , आज के युग मे दोस्त की  परिभाषा  बदल कर स्वार्थ हो गयी है , |
सच्चा मित्र सुख -दुख मे समान कार्य करता है ,जो पाप से हटता है , भलाई के काम मे अपने को लगाता है , गुप्त बात को छिपाता है , गुणो को प्रकट करता है ,| आपत्ति मे पड़ने पर भी नहीं छोडता , बल्कि समय पड़ने पर साथ देता है , सज्जन लोग अच्छे मित्रो के ये लक्षण बताते है ,|
पर ये सब बाते उस व्यक्ति पर लागू नहीं होती जिसका दिल लोट जाता है ,दोस्ती से संबंधित तमाम कहानिया है , जैसे ;- बंदर-मगरमच्छ , ऊट-गीदड़ , सारस-लोमड़ी , शेर -चूहा , बिल्ली -बंदर ,बकुला-मछली , पंचतंत्र संग्रह और हितोपदेश की कहानिया जो तमाम अलग-अलग पहलुवों को बताती है ,|

परंतु अच्छी दोस्ती पर बहुत कम कहानिया मिलती है , जो बताती है , अच्छे -सच्चे स्वार्थरहित दोस्त बहुत कम है वो भी भाग्य से मिलते है ,मेरे अनुभव से आज के दोस्त टांग -खिचते है ,|
जाते -जाते यही की दोस्त ही होते है जो गलत होकर भी हमे  सिखाते है ,अतः समाज सेे कट कर नही रहना चााहिये।

लेखक;- सुभाषितिनी ...रविकान्त यादव

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