Sunday, April 17, 2011

अर्जुन अभिमान






























कल हनुमान जी हिन्दू भगवान का जन्मदिवस है , इनके पिता  बानरराज केसरी और माता अंजना थी इनको कोई संतान न थी इन्होने वायु देव की तपस्या पूजा की जिनके आशीर्वाद से हनुमान जी का जन्म हुआ ,इसलिए इन्हें पवन पुत्र भी कहते है ,इन्हें शिव जी का मानस पुत्र भी कहते है ,त्रेता में रामायण के नायक की रामभक्त के रूप में पूजा होती है ,पर द्वापर में भी इनका कई जगह जिक्र और अमर होने की वजह से कहानिया मिलती है , पांडव में भीम भी वायु पुत्र थे ,अतः भीम और महाबलशाली हनुमान जी भाई है ,|
महाभारत युद्ध समाप्त हो चुके थे ,अर्जुन श्री कृष्ण से मिलते है ,युद्ध पर मंथन होता है ,तो अर्जुन कहते है उनके हवा जैसे बाणो की तेज़ी से सभी कौरव दल को  उन्होंने त्रस्त करके उन्होंने विजय दिला दी ,तब श्री कृष्ण कहते है पार्थ तुम्हारे एकल प्रयास ने नहीं ,सत्य और समायोजन की शक्ति से विजय मिली है ,अर्जुन फिर भी मुस्कुराते है ,श्री कृष्ण उनके गर्व को समझ सतपुड़ा जंगल भेज देते है ,वह वहा जाते है , तो एक आदि मानव उनके सामने आता है ,वो आदिमानव कहते है, हे ब्रह्माण्ड के सर्व श्रेष्ठ धनुर्धर समझने वाले अर्जुन जरा मुझे भी अपने बाणो की तेज़ी दिखावो ,?
अर्जुन कहते है ,इन बाणो से मै एक रास्ता बनाउगा  वो भी तुम्हारे दौड़ते रहते हुए यदि तुम मेरे बाणो के ऊपर से दौड़ते हुए आगे निकले तो मै ब्रह्माण्ड का स्रेष्ट्र धनुर्धर नहीं ,मै हारा ....






आदिमानव दौड़ते है , तो धनुर्धर अर्जुन बाणो से उनके आगे का रास्ता हवा में में ही बनाता जाता है ,आदि मानव अपनी तेज़ी दिखाते है ,और बाण छुटने से पहले ही अर्जुन के प्रत्यंचा पर जाकर सवार हो जाते है ,अर्जुन रुवांसा होकर बोलते है ,आप कौन है ,अपना परिचय दीजिये तब आदिमानव वेशधारी व्यक्ति अपना परिचय देते है ,अपने असली वास्तविक रूप में आते है ,कहते है मै पवन पुत्र हनुमान हु ,जो तुम्हारे रथ ध्वजा पर ही नहीं तुम्हारे वेग पर भी साथ था ,अब अर्जुन का गर्व खंड -खंडित हो चुका था ,|



















लेखक ;- एक धनुर्धर ..रविकांत यादव ...एम् कॉम 2010







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