Tuesday, March 8, 2011

अभिशापित अबला





आज विश्व का १०० अंतरास्ट्रीय महिला दिवस है ,पहली बार यह जर्मनी में मनाया गया था ,
भारत देश में यह मंत्र है ,कि जहा नारी कि पूजा होती है ,,वहा देवता रहते है ,
दुर्गा चालीसा में भी कहा गया है ,पूत कपूत हो सकते है ,पर माता कुमाता नहीं होती ,
जहा तक बात है ,समाज की ,देश की तो  ये पुरुषो की अपेक्षा अधिक हृदयी ,ईमानदार,और विश्वसनीय होती है ,
इसलिए यदि भारत में सिर्फ इन्ही के लिए विशेष स्कूल ,नौकरी ,या शिक्षा और रोजगार मिले तो देश बड़ी तेजी से आगे बढेगा ,क्यों की आज का पुरुष स्वीकार योग्य नहीं है ,
और इसलिए हमारे देश में विकल्प के तौर पर नारी पूजा की व्यवस्था है ,परंपरा है ,
आज पुरुषो के वर्चस्व को तोड़कर नारी हर क्षेत्र में कदम रख चुकी है ,
इनकी महानता पर आज भी प्राचीन  ,सीता ,सावित्री ,अनसुइया ,राधा की और अन्य  कथाये मौजूद है ,
राधा जो कृष्ण जी को संपूर्ण बनाती है ,सावित्री अपने पति का सत्यवान का जीवन यमराज से  वापस   मांग लेती है ,सीता अपने तपबल से अपने पति श्री राम को दसो दिशावो में विजयी बना देती है ,और अनुसुइया अपने तप से त्रिदेवो तक का अहंकार तोड़ देती है |,


ये नारी ही  ज्ञान और धन की  देविया  है ,पुरुषो का अस्तित्व  इनसे है  ,एक माँ ,कहा गया है ,भगवान्  हर जगह नहीं हो सकता इसलिए माँ को बनाया ,एक पत्नी जो कदम कदम साथ चलती है ,एक बेटी जो पिता को  सर्वोच्च अमर दान का अवसर प्रदान करती है ,एक बहन भाई को शुभ कामनावो का वरदान देती है |,

परन्तु आज ये ससुराल में रहे ,या घर में इन्हें दोनों दशा में ब्याज दर ब्याज परेशानी होती है ,कीमत चुकानी पड़ती है ,|

घर की चौखट ही इनकी सीमा नहीं रह गयी.... ,आज भी सबसे ज्यादा शोषण महिलावो का ही हो रहा है ,क्यों की हमारे दकियानूसी समाज उन्हें घर से बाहर,उचाई पर नहीं देख सकता ,क्यों की पुरुषो की प्रतिष्ठा की बात आ जाती है ,
परन्तु वास्तव में ये खोखला पुरुष समाज झूठे अहंकार के भ्रम में है ,जिसे दिन पर दिन महिलाये खंडित करती जा रही है ,|

लेखक ;-देवीयो का समर्थक
रविकान्त यादव
एम् .कॉम 2010








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