Friday, August 12, 2011

बंधन की परीक्षा

रक्षा बंधन सावन में (agust )  में पूर्ण चन्द्र दर्शन (पूर्णिमा )के दिन मनाया जाने वाला पर्व है ,इसकी कई पौराणिक और एतिहासिक कहानिया मिलती है,| जिसमे इन्द्र -इन्द्राणी , कृष्ण -द्रौपदी , व हुमायु -कर्मावती , प्रमुख है,आप रक्षा बंधन से जुडी सारी बाते मेरे दिए पते से पढ़ सकते है, इस पर क्लिक करे ....



मै पता इसलिए दे रहा हु , क्यों की कॉपी करने से आपके ब्लॉग का कोई विशेष औचित्य नहीं रह जायेगा ,और
आपके स्वयं के रचनाओ पर भी प्रश्न चिन्ह लग जायेगा ,|

रक्षा बंधन   बधवाते समय मुख सूर्य की तरफ हो पूर्व होना  चाहिए , ऐसा एक t .v . पर एक शास्त्री जी बता रहे थे ,|
   यहाँ मै ,अपनी एक कहानी प्रस्तुत कर रहा हु,    |  एक राजा को अपने लिए विशेष मंत्री की आवश्यकता थी सो उसने सोच -समझकर अपने विशेष सभी दरबारियों को एक एक कार्य सौपा एक थाल में अन्नो के बीच रंग -बिरंगे छोटे -छोटे पत्थरो को मिला  दिया और कहा जो भी इन पत्थरों को अन्न से सबसे पहले  चुनेगा उसे मंत्री पद सौप दिया जायेगा ,उन सभी को एक एक कमरा सौपा जाता है ,| राजा प्रत्यक्षता पर ज्यादा ध्यान देता था ,उसका मानना था, जो बाते चल कर आती - जाती है, उसमे कही कुछ कमी आ जाती है|
              शुद्धता प्रथम होनी चाहिए ,राजा सभी के  कमरे में शरारती बच्चो को भेजता है,  कोई दरबारी बच्चो को डांटता है, कोई भगाता है, तो कोई मार देता है| एक दरबारी अपना कार्य करता रहता है, वह कुछ नहीं बोलता , शरारती बच्चे उसके चावल को गिरा भी देते है, तो भी वह बच्चो से ही मदद मांगता है,|


इस तरह वह राजा के लिए ही नहीं ,प्रजा राज्य के लिए भी योग्य मंत्री मिल जाता है ,धीरे -धीरे राजा और मंत्री सारे राज्य   में प्रिय -और प्रसिद्ध  हो जाते है, ||

                            अंत में यही की ये बच्चे ही, होते है, जिनकी अपनी दुनिया होती है, उस दुनिया में जीना भी एक करामात से कम बात नहीं होती , ये बच्चे जो छुपाते है, वो दिख जाता है, और जो दिखाते है, उस पर प्यार आता है,इनकी दुनिया सारे झमेलों से दूर ,थकान ,तनाव ,दूर करने वाली सुकून प्रदान करती है,क्यों की हम मानवों व्यस्क मानवों का समाज झूठ , छल-कपट ,ईर्ष्या, द्वेष ,ढोंग आदि से भरी हुई है,|
     
बच्चो के लिए;-
                             नन्हे -नन्हे तारो जैसे सारे...
                             बाते जैसे टीम-टीम हो सितारे .......
                             जीता जग सारा पर जहा इनसे ही हारे...
                             देखो सूरत भोली -भाली लगे कितने प्यारे ...

                             २)    बच्चो की दुनिया सबसे निराली ...
                                    सूरत भी जैसे भोली-भाली....
                                    खुश हो बजाये ताली ....          
                                    वरना मुह पर दे-दे गाली |
                                    2 songs above and below

                              लेखक ;- सस्नेह ...रविकांत यादव 
                                                    























































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