Wednesday, September 28, 2011

जन्म

 
एक बेहद तेज़ तर्रार वकील जो दिल का अच्छा था ,| पर पैसे और शौक के लिए गलत कार्य भी कर लेता था |
उसका मानव शरिर छूटता है ,| भगवान की कोर्ट -कचहरी में ले जाया जाता है , उसे तो जैसे इस सब की आदत थी ,वह भगवान के सभी सवालो का सटीक उत्तर देकर शांत कर देता है |
अंत में इश्वर दूत बने जज पूछते है ,| तुम मासाहार क्यों करते हो , धरती के सारे अन्न -फल कम है ,क्या तुम्हारे लिए ?, | इस पर वह वकील बोलता है ,भगवान् आपने ही ये शरिर बनाया है ,जब मासाहार अच्छा लगता है , तो मै क्या करू , वैसे भी मै केवल खरीददार हु ,ईश्वर दूत बने जज कहते है ,ठीक है , | कोई आखिरी ख्वाहिस ? वह बोलता है ,मै मासाहार बिना नहीं रह सकता |तो ईश्वर कहते है , जावो तुम मच्छर ,छिपकली , सांप, शेर, बिल्ली , जन्म लो ,| आदि मांसाहारी  जीवो के बाद तुम्हारा केस फिर सुना जायेगा ????

           


हमारे शरिर में अनेक छोटे -छोटे बक्टेरिया है , हमसे ही उनका अस्तिव है , ठीक उसी प्रकार ईश्वर के लिए व प्रकृति में हम छोटे -मोटे कीड़े -मकोड़े है ,| परमात्मा से ही हमारा अस्तित्व है , हमारे तप जन्मो  तक साथ रहते है , भले ही  जीवन पशु रूप में जन्मे , कही न कही पंचदेव हमारे तप द्वारा और सजा ख़त्म कर प्रगति देते है|
जैसे एक शेरनी अन्य शावक को दूध पिलाती है ,| तो न्याय वही हो जाता है| , इसमें शेरनी का पुण्य कर्म है| क्यों की दैवीय इन्साफ तन्हा ही होता है ,|







     लेखक ;- शाकाहारी .............रविकांत यादव  also clik;- http://indianthefriendofnation.blogspot.com/

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