Saturday, October 29, 2011

जौहर




कहानी उस प्राचीन समय की है , जब मुगलों से लोहा लेते हुए , बहुत सारे हिंदु मारे गए , हिंदु अपने आखिरी सांस तक लड़े पर विशाल सेना के आगे पराजय के साथ शहीद -बलिदान होना पड़ा , उनकी तमाम क्षत्रिय विधवाये,हजारो की संख्या में जौहर को निकल पड़ी , बेख़ौफ़ आग की चिता में खुशी -ख़ुशी समा कर सती होकर अपना जीवन बलिदान कर दिया , सभी के मौत के साथ  वो यमराज (धर्मराज)के नगरी पहुची तो अन्य  देवता घबरा गए , 

की आप लोगो की मौत का समय ये नहीं है ,| आप लोग अचानक इतनी की संख्या यहाँ कैसे आ गयी , जबकि अभी आप लोग के मौत का समय है ,ही नहीं ,तो मौत कैसे हो गयी ?, |यमराज के इस बात पर क्षत्राणियों ने अपना पति धर्म बताया तो यह सुनकर यमराज शांत हो गये, और अति द्रवित हुए , उनकी आँखों में आँसु आ गये , | उनका ह्रदय विचलित हो गया तब उन्होंने अपने ही कर्म दायित्व के सर्वोच्च जिसके वो भी कर्तव्य अधीन थे , किसी तरह वह , महाभयंकर ज्वालावो , घोर महानाद दृश्य से  , होते हुए डरते- कापते ,महायम तक पहुचने में कामयाब रहे , तथा उनसे सारी बात बताई ,कि मनुष्य कि पत्त्निया स्वयं हजारो की संख्या में अपनी खुशी से जल -मर रही है , | मेरा ह्रदय बिचलित हो रहा है , तब महायम बोलते है , मेरे लिए यह बहुत छोटी बात है , यही नहीं हर पल हजारो ग्रह बनते और बिगड़ते( विनाश होते ) रहते है , | अभी इन्हें जीना नहीं आया है ,| तुम अपने कर्म -कर्तव्य से मतलब रखो हा तुम इनके सम्मान में जरूर कुछ कर सकते हो ,तब मृत्यु देवता यमराज लौट आये ....


तब उन्होंने  क्षत्राणियों से कहा ठीक है , आप लोगो के समर्पण का कोई सानि नहीं , फिर भी आप लोगो के सम्मान में सारे संसार में एक जीव बनाया जायेगा ,|



जो ठीक आप लोगो के समर्पण को विश्व भर में पृथ्वी पर उदहारण देगा , तब से आज तक ये बरसाती फतंगिया , जलती रोशनी देखती  है , तो उसमे अपनी स्वेक्षा से घेर कर कूद कर अपना प्राण त्याग देती है ,|
                                               
                                                       लेखक;- फतंगो से परेशान......रविकांत यादव
                                    also  click  me ;-http://indianthefriendofnation.blogspot.com/


2 comments:

  1. prachin kahaniyon mein bahut kuch jiwanopayogi sandesh nihit hota hi hai..
    aapne sundar dhang se kahani prastut kee hai..bahut achha laga..
    saarthak prastuti hetu dhanyavad..

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