कहानी उस प्राचीन समय की है , जब मुगलों से लोहा लेते हुए , बहुत सारे हिंदु मारे गए , हिंदु अपने आखिरी सांस तक लड़े पर विशाल सेना के आगे पराजय के साथ शहीद -बलिदान होना पड़ा , उनकी तमाम क्षत्रिय विधवाये,हजारो की संख्या में जौहर को निकल पड़ी , बेख़ौफ़ आग की चिता में खुशी -ख़ुशी समा कर सती होकर अपना जीवन बलिदान कर दिया , सभी के मौत के साथ वो यमराज (धर्मराज)के नगरी पहुची तो अन्य देवता घबरा गए ,
की आप लोगो की मौत का समय ये नहीं है ,| आप लोग अचानक इतनी की संख्या यहाँ कैसे आ गयी , जबकि अभी आप लोग के मौत का समय है ,ही नहीं ,तो मौत कैसे हो गयी ?, |यमराज के इस बात पर क्षत्राणियों ने अपना पति धर्म बताया तो यह सुनकर यमराज शांत हो गये, और अति द्रवित हुए , उनकी आँखों में आँसु आ गये , | उनका ह्रदय विचलित हो गया तब उन्होंने अपने ही कर्म दायित्व के सर्वोच्च जिसके वो भी कर्तव्य अधीन थे , किसी तरह वह , महाभयंकर ज्वालावो , घोर महानाद दृश्य से , होते हुए डरते- कापते ,महायम तक पहुचने में कामयाब रहे , तथा उनसे सारी बात बताई ,कि मनुष्य कि पत्त्निया स्वयं हजारो की संख्या में अपनी खुशी से जल -मर रही है , | मेरा ह्रदय बिचलित हो रहा है , तब महायम बोलते है , मेरे लिए यह बहुत छोटी बात है , यही नहीं हर पल हजारो ग्रह बनते और बिगड़ते( विनाश होते ) रहते है , | अभी इन्हें जीना नहीं आया है ,| तुम अपने कर्म -कर्तव्य से मतलब रखो हा तुम इनके सम्मान में जरूर कुछ कर सकते हो ,तब मृत्यु देवता यमराज लौट आये ....
तब उन्होंने क्षत्राणियों से कहा ठीक है , आप लोगो के समर्पण का कोई सानि नहीं , फिर भी आप लोगो के सम्मान में सारे संसार में एक जीव बनाया जायेगा ,|
जो ठीक आप लोगो के समर्पण को विश्व भर में पृथ्वी पर उदहारण देगा , तब से आज तक ये बरसाती फतंगिया , जलती रोशनी देखती है , तो उसमे अपनी स्वेक्षा से घेर कर कूद कर अपना प्राण त्याग देती है ,|
लेखक;- फतंगो से परेशान......रविकांत यादव
yeh bhii khuub rahi!
ReplyDeleteprachin kahaniyon mein bahut kuch jiwanopayogi sandesh nihit hota hi hai..
ReplyDeleteaapne sundar dhang se kahani prastut kee hai..bahut achha laga..
saarthak prastuti hetu dhanyavad..