आज ११ अक्टूबर है ,आज शरद पूर्णिमा का दिन है ,| मान्यता है ,इस दिन आज के दिन १६ कला से पूर्ण चंद्रमा आकाश से अमृत की वर्षा करता है , | इसलिए लोग खीर बना कर , खुला छलनी से ढक कर , रात में उसकी रोशनी में रखते है ,|और सुबह उसे ग्रहण करते है ,| हिन्दू धर्म में यह भी मान्यता है ,की आज धन की देवी लक्ष्मी और धन बैभव के देव कुबेर , अन्य देव शिव परिवार ,इन्द्र आदि एक साथ रात्रि जागरण कर भक्तो पर कृपा करते है ,| यहाँ मै बताना चाहुगा माँ लक्ष्मी को चंद्रमा की बहन (माना)कहा गया है ,|
संयोग आज ही ,भारतीय फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन जी का जन्म दिन भी है ,|
हमारे देश के महान अभिनेता मिलेनियम स्टार ,सदी के महानायक जिनका जन्म ११ अक्टूबर १९४२ है ,उनके पिता जी की तरह लेखक उनके मित्र सुमित्रा नंदन पन्त जी ने उनका नामकरण किया था , " अमिताभ " जिसका अर्थ है , अमर ज्योति ( अमर प्रकाश )जो शायद अमित आभा से बना है ,|इनकी पहली फिल्म सात हिदुस्तानी है,|
अपने इलाहाबादी अमिताभ बच्चन ,उन्हें महान अभिनेता बनाने वाली उनकी भाषा में भोजपुरिया लहजा , तथा इसे पसंद कर सर आँखों पर बिठाने वाली केवल उनकी अपनी उत्तर भारतीय जनता है , बेशक आज वो कितने ही, धनी हो पर उनका , एक रहेन इर एक रहेन बीर वाला गाना उनको एक गाँव की माटी का देशभक्त घोषित करता है ,| कभी यह कहानी युक्त ,गाना गाँव में बड़े अपने बच्चो को सुनाते थे | आज वो सात समंदर पार भी मैडम तुसाद संग्रहालय में भी अपने मोम के पुतले के साथ है |, उनकी एक कंपनी भी आई a ,b ,c , ltd , फिर वो क़र्ज़ में भी रहे, फिर उन्होंने छोटे परदे से कौन बनेगा करोड़ पति से वापसी कर लोगो को करोड़ पति भी बनाया ,और हर घर के दिलो में अपनी पहचान बना ली , (k .b .C ) के प्रश्न उत्तर आप सेट इंडिया .कॉम से आप पा सकते है )आज हम उत्तर भारतीय उन पर चालीसा लिखते है ,और मंदिर भी बना देते है ,|
पर वास्तव में में उनके सफलता के पीछे हम उत्तर भारतीय लोगो का उनके फिल्मो और भोजपुरी लहजे के पीछे पागलपन ही है ,उनकी फिल्मे ही ले कालिया , don , हम , गिरफ्तार , शोले, आखिरी रास्ता, दीवार, अजूबा,सट्टे पे सत्ता ,अँधा कानून, कुली, अग्निपथ,नसीब, महान,मर्द,नमक हलाल, शान, शराबी, याराना, जंजीर, शक्ति, नास्तिक,नमक हराम, मुकद्दर का सिकंदर ,नटवरलाल, देशप्रेमी,चुपके-चुपके, काला पत्थर ,
लगातार फ्लॉप होती फिल्मे और उनकी अन्दर की आग इन्ही फिल्मो के भडास के रूप में आई और वो पुरे उत्तर भारत में देवता बन गए ,उनकी दमदार आवाज़ बादल की गर्जना बन गयी ,लोग उनके एक झलक को पागल हो गए ,मै उनका इन्ही दौर का प्रसंशक हु , उन्होंने हर धर्म -राज्य के लोगो का दिल जीतने की कोशिश की पर उत्तर भारतीयों का स्थान कोई न ले सका ,उनका कद और उम्र भारत रत्न का हकदार है , और यह दिन सभी प्रसंशको के लिए खुशियों का दिन होगा, |
यहाँ मै अपने जीवन से एक संस्मरण लिखना चाहुगा , मै चार में पढ़ रहा था , कभी कभार दूरदर्शन पर उनकी फिल्मे शनिवार के शनिवार आ जाया करती थी , मन में होता अमिताभ बच्चन की फिल्म आ रही है , जैसे फिल्म न होकर दुनिया का सबसे बड़ा जादूगर ,या अजूबा आ रही हो ,| एक बार ठंढ के साथ फिल्म देखते -देखते नीद से लुढ़क जाता तो फिर देखने लगता यह क्रम कई बार चला , आखिर में ब्रेंच से गिर पड़ा और शायद ब्रेंच से ही चोट लग गयी और मै चोट को महसूस करते दौड़ कर बेड पर जाते ही सो गया ,|
एक बार शायद कक्षा ४-५ में हिंदी का क्लास चल रहा था ,और एक कविता पढाई जा रही थी ,शीर्षक था , खुनी हस्ताक्षर ..कविता कुछ ऐसे थी, वह खून कहो किस मतलब का जिसमे उबाल का नाम नहीं ,वह खून कहो किस मतलब का जो आ सके देश के काम नहीं .....मुझे कविता समझ में नहीं आ रही थी , सर शांत थे , मैंने पन्ना पलटा एक और रचना मिली .नीचे लेखक थे , हरिवंश राय बच्चन मैंने अपने रोब के लिए क्लास में कह दिया ये अमिताभ बच्चन के पापा है , मेरे teacher आश्चर्य में थे और मै भी ,|
और अब सोचता हु , देश भक्तो की परम्परा नयी नहीं है, प्राचीन है ,यह सत्य है , आज़ादी का महानायक अपनी पिता की प्रेरणा ,प्यार, प्रोत्साहन , की वजह से ही सिनेमा जगत का दुर्लभ तारा है , आज भी उनकी dialog ही बहुत पसंद किये जाते है , इनके पिता एक महान विचारक कवि के रूप में आज भी है ,महान विचारक कवि मै इसलिए कह रहा हु की उनकी कविताये , कृतिया महान सन्देश के साथ आज भी अमर है , उनकी कृतिया जैसे -उन टूटे तारो का अम्बर कब शोक मनाता है , --जो बताती है की यह मानव जीवन अनमोल है , अम्बर आकाश बहुत विशाल है , ठीक उसी तरह (प्रकार) इस जीवन संसार में भी छोटी मोटी बाते होती रहती है , यह मानव जीवन पर एक परमात्मा का हाथ सदैव अम्बर की तरह आशीष स्वरुप सभी को प्रदान है , अतः संसार में जीवन जीना ही जिंदगी का नाम है ,आशाये कभी ख़त्म नहीं होती ,|
उनकी एक और कृति बीत गयी सो बात गयी , जो बताती है ,हम जो जी चुके उस पर पछताने ,माथा पीटने से हमें कुछ भी हासिल नहीं होगा , हम लाख चाह ले पर उसे बदल नहीं सकते सो व्यर्थ पछता कर हम स्वयं को ही कस्ट देगे , बस केवल हम उससे यही सीख ले सकते है , कि भविष्य में यह दोबारा न होगा ,|
उनकी एक कृति है , है-अँधेरी रात पर दिवा जलाना कब माना है , - जो बताती है , चाहे घोर निराशा हो असमर्थता हो पर हमें कर्म करने से क्या जाता है , हमारा कार्य है , कर्म करना , जितनी विशाल दुःख हो निराशा हो पर मन के हारे हार और मन के जीते जीत है , अतः आशा के दीप को जलाए रखने वाला ही मंजिल प्राप्त करता है , यही ज़िन्दगी है ,और संघर्ष को सीढ़ी बनाकर ही सफलता के बुलंदी पर चमका जा सकता है ,|
for more हरिवंश राय बच्चन poem click ;-http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%B6%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AF_%E0%A4%AC%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%A8
for more हरिवंश राय बच्चन poem click ;-http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%B6%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AF_%E0%A4%AC%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%A8
मै अमिताभ बच्चन कि आज कि फिल्मो में , बड़े मिया -छोटे मिया , खाकी, वक़्त - race against time , सरकार राज आदि फिल्मे अच्छी लगी , यदि आज वो अपने लोगो उत्तर भारतीयों को भूले या कुछ योगदान समाज कल्याण का न करे तो यह यह चमकते सितारे को अँधेरे में डूबने जैसा होगा , मुझे उनकी कॉमेडी अतुलनीय लगती है , उनके लिए सभी उत्तर भारतीयों के दिल में प्यार है ,मै भी उनमे से एक हु , मै उनके साथ , झकास अनिल कपूर , बिंदास गोविंदा , और सन्नी देओल का जबरजस्त प्रसंशक हु , |आज का दर्शक , कौतुहल , जिज्ञासा , बच्चो कि भागेदारी , भावेग ,अजब गज़ब स्पेशल effect , के साथ अच्छी कहानी ,के साथ आश्चर्य जनक असंभव चित्रण भी मांगती है , उस पर अच्छे गाने और बोल ( dialouge ) चार चाँद लगा देते है , उसके साथ item डांस धूम धडाका के साथ सामाजिक dialouge भी मांगती है , पर अफ़सोस आज कि फिल्मे दो तरह से बनती है ,पहली कहानी के साथ और दूसरी फिल्म बनावो और किरदारों से स्पस्तीकरण देकर कहानी बनावो ,|
जाते -जाते यही कि मै भी इस भूतनाथ से प्यार करता हु , मै उनके अच्छे बहुत अच्छे स्वास्थ्य कि कामना करता हु ,वह एक living legend है , अभी मुझे उनकी कुली , इंसानियत समेत बहुत सी फिल्मे देखनी बाकी है , |
जाते जाते यही --विरासत का शहंशाह ग़दर के शान से देशप्रेमियो के लिए राजाबाबू के साथ , आशीर्वाद के गिरफ्तार से आकाश में नक्षत्र के दामिनी है ,|(for more amitabh bachchan biography click);-http://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%AD_%E0%A4%AC%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%A8
अपेक्षावो का बोझ सबसे भारी होता है , अच्छे -सच्चे लोगो कि अपेक्षा दोनों तरफ केवल प्यार के रूप में रहती है|
लेखक;- एक धनी व्यक्तिव का प्रशंसक ......रविकांत यादव also click me; -http://indianthefriendofnation.blogspot.com/2010/09/blog-post_21.html
No comments:
Post a Comment