Friday, May 29, 2015

गौ हत्या बंद हो (stop killing cow there causes)

परिचय ;- हम हिन्दु लोग रोज सत्संग, कथा ,प्रवचन , आदि में नारे लगाते है  , गौ हत्या बंद हो क्या ये हमारे कहने पर बंद हो जा रही है? , जबाब है , नहीं ।  सबसे बड़ा हिन्दू देश है , भारत ,और भारत ही गौ मांस का ब्राज़ील के बाद दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है ।

इतिहास ;-  सतयुग में देव -दानवो में महत्त्व हेतु अमृत हेतु समुद्र मंथन हुआ , उनमे १४ अमूल्य रत्नो में से एक कामधेनु गाय प्रकट हुई ,जो तरह तरह के व्यंजन प्रकट करती और तमाम रोग व व्याधियों को दुर करने की शक्ति रखती थी , ।
धरती पर अमर देवताओ में से एक चारो युगो में मौजूद परसुराम के पिता जमदग्नि के पास एक गाय ,सुरभि थी , जो कामधेनु की पुत्री मानी जाती है , एक राजा भटक कर उनके आश्रम गया , मुनि ने गाय से अन्य उत्पन्न तमाम व्यंजन प्रकट कर राजा को खिलाया व खूब सेवा की , राजा गाय की खूबियों से उसे पाने को ललच जाता है , एक दिन वो ऋषि जमदाग्नि को मार कर गाय ले कर चला जाता है , जब उनके पुत्र देव परसुराम को पता चला तो उन्होंने राजा के २१ बार क्षत्रिय वंश का नास कर दिया तथा भगवन  शिव से वरदान स्वरुप फरसे से २१ बार पृथ्वी को क्षत्रिय बिहिन कर दिया , वही हिन्दुओ को गीता ज्ञान देने वाले भगवान  कृष्ण गौ सेवा करके व दूध ,दही,घी,मक्खन,खा कर बड़े हुए थे ।
महत्त्व ;- गाय की खूबियों की वजह से इससे उत्पन्न दूध आदि को मिला कर पंचामृत बनाया जाता है ,। जो देवो का प्रिय आहार है , अतः सभी देवो को गाय के अंग में वास बताया जाता है , । अतः कोई दिन -हीन कस्ट विपदा भोगी यदि गाय की सेवा करता है , तो यह  माना जाता है , वह देवो की सेवा कर रहा है , और गाय से होती हुई कृपा उस दीन -हीन तक वरदान स्वरुप पहुचती है , ।
मैंने हाल ही में पढ़ा-सुना  कई भारतीय प्रमुख लोग बयान दिये  की उन्हें गौमांस पसंद है , किसी के खान पान पर रोक न हो , वो तो  ठीक है ,क्यों कि भारत देश में सभी को सामान दर्ज़ा प्राप्त है , परन्तु मै उन्हें बता दु ,गाय के मांस की अपेक्षा 10 गुना ज्यादा प्रोटीन  सोया और  उसके दूध में है ,।एक शाकाहारी अन्य की तुलना में १०-१५ साल ज्यादा जीता है , । यज्ञ ,हवन,पूजा,आदि में गो घी , गोबर से  जमीन शुद्धिकरण , का उपयोग किया  जाता है , यज्ञ ,तप आदि में सफलता हेतु गोदान की युगो की परंपरा चली आ रही है , मान्यता है ,ऋषि लोग अपने मन्त्र , तप से यज्ञ से कुछ भी अस्त्र ,शस्त्र ,सेवक , आदि उत्पन्न करते थे ,इसी में सुरभि गाय भी थी ।
 धरती पर अबोध बच्चो के लिए गाय के दूध से बेहतर कोई अन्य आहार नहीं है  ,।  अब आप ही निर्णय लीजिये आपको क्या खाना व खिलाना  है , बहुत गुणकारी दूध, दही,घी, मक्खन, मठा ,या खुनी गौ मांस ,।

विज्ञान ;- यह प्रमाणित हो चूका है , गाय दूध,दही,घी ,मक्खन,मठा ,से आँख,नाक ,कान, गला ,शारीरिक दुर्बलता ,पेट के रोग, वात,पित्त ,कफ,सहित तमाम सामयिक व अन्य 52 तरह के रोगो को दूर किया जा
 सकता है ,।  तथा इसमें गजब की रोगप्रतिरोधक क्षमता होती है ।  कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी में गौमूत्र उपचार प्रमाणित हो चुका  है , जिसे दवा विधि से लेने व पीने  का प्रावधान है , । तथा अन्य चर्म रोग में गौमूत्र कारगार प्रमाणित है , जिसे आज पतंजलि संस्था  बेच रही है ।
गाय के गोबर जो अन्य विषाणु को मारने की क्षमता रखता है , गाव में लोग इससे आँगन लीपते है , गोबर जो हवा से क्रिया करके धरती शुद्ध  होती है , यही कारण है , तमाम हिन्दू पूजा में इसके गोबर को रखने का प्रावधान है । आज भी गाव में इसका प्रयोग इसके उपलों से ईंधन स्वरुप होता है ,।
आज भी इसके  गोबर -मूत्र से बढ़कर कोई उर्वरक नहीं है ,। उसके जैविक खाद से फसल दोगुनी तो होती ही है,साथ ही अन्न की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है , । अमेरिका जैसे देश में तो गाय के पालन व दूध आदि निकालने की बहुत ही उच्च व बेहतर आधुनिक वैज्ञानिक पद्धति अपनायी जाती है ॥
मन्थन ;-  हिन्दु  धर्म में प्रमुख स्थान के बावजूद हम हिन्दू ही बूढ़ी गो माता को औने -पौने दामो में इन्हे बेच देते है ,पता न सामने वाला , व्यवसायी है या कसाई ?,। हिन्दू धर्म में विशेष स्थान होने के कारण गो हत्या पूर्ण रूप से , पूर्ण बहुमत की संसद की सहायता अपराध बने , जिससे गौहत्या रुकेगी , कोई खरीदेगा ही नहीं तो आप बेचेंगे किसे , साथ ही गो बछड़ो ,भैस बछड़ो, अन्य जर्जर गाय ,भैस ,सहित तमाम छुट्टा पशुओं के लिए wild life सेंचुरी ,अभ्यारण , वाइल्ड life पार्क बने, व एक ट्रस्ट समिति बने , साथ ही पशु बलि के खिलाफ भी कानून बने , बलि प्रथा बंद हो , ।  जिसे आप उन्हें जिलेवार टोकन मिले व सरकार की सहायता से उन्हें वहा  वाइल्ड लाइफ पार्क ले जाकर छोड़ सके । क्यों की मशीनो के इस युग में बैल सहित तमाम जीव कहा जाये?? यह सोचने का बिषय है !!??  wild लाइफ पार्क हेतु हम हिन्दु  पैसे लगाने को तैयार है ॥
                            लेखक;- घूमते - घामते , दूध ,दही खाते- पीते। ....... रविकान्त यादव

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