Tuesday, November 10, 2015

my immortal thought my way and my world part 2 (happy dipawali )

*दुसरो को देख कर सोना खोजने वाले स्वयं अपना हीरा खो देते है । 
*यदि आप मंजिल की तरफ जा रहे है तो ९०%आपकी कोई मदद नहीं करेंगे इनमे ज्यादातर आपके करीबी ही रहेंगे । 
*एक बार का बुरा हमेशा बुरा ही होता है ,परन्तु तमाम अच्छाइयों पर यह बात लागु नहीं होती । 
* जिनका दिल और दिमाग दोनों अच्छा होता है , वो किसी के प्रति गलत धारणा नहीं बनाते । 
* मानव अपने विनाश के मशीन स्वयं बनाता है ,और तर्क विकल्प ये देता है की ये इनसे रक्षा होगा । 
* परम एक ऐसा शब्द है, जिसके बाद क्षेत्र से कोई बात मायने नहीं रखती । 
* शिक्षा व संस्कार दोनों बिलकुल भिन्न है ,संस्कार से शिक्षा ग्रहण किया जा सकता है ,परन्तु शिक्षा से संस्कार को नहीं ख़रीदा जा सकता , हम उच्च शिक्षित है तो इसका  कतई भरोसा नहीं की हम उतने ही संस्कारी भी है , । दोनों में तुलना करे तो एक आशीर्वाद शब्द भी निकल कर आएगा और सिवाय इसके सृस्टि अधूरी है । 
*कर्म के रूप में ज्ञान की उंगली रूपी दिशा निर्देश धर्म का दूसरा नाम है ।
 * अगर तुम कल की चिंता करते हो तो , आज से ही अपने कार्य में लग जाओ । 
* बुरे लोगो की यही पहचान है , की वो जीते जीते अपने आप को जीवनदाता समझने लगते है ,व बुरा कार्य करते जाते है । 
*वाणिज्य रूपी वृक्ष की प्रमुख शाखा है , विपणन ,इसके फूल प्रक्रिया है ,व पत्तिया क्रिया कलाप तथा इस डाल पर अत्यधिक मिलने वाला फल ,परिणाम है ।
*धर्म को मानना सही है , और धर्म पर चलना भी पर धर्म के लिए आँखे बंद कर लेना न धर्म पर चलना है और न धर्म को मानना । 
* परेशान होना अच्छी बात है , बहुत ज़्यादा परेशान होना भी ठीक है , पर और भी ज्यादा परेशान होने वाले मुर्ख होते है ,ये दुनिया क्यों है ,दोस्त है , भाई है , आदरणीय है , उनसे पूछो । 
* शाप और वरदान में एक ही अंतर है ,शाप कभी भी लौट कर आप पर आ सकता है ,परन्तु वरदान नहीं ।
 *बहुत जरुरत में हवा के झोंके की तरह आने वाले गुरु ही आध्यात्मिक गुरु कहलाते है । 
* हम भविष्य के दुखो का रोना क्यों रोये जब हमारे पास भूत व वर्तमान का हर क्षण सहेज कर है । 
* एक खगोलविद ने कहा है ,जो मर चुके तारे है ,उनकी रौशनी आज भी हमारे पास आ रही है 
 यही ताक़त अच्छाई की ताकत है ।
*धन भले ही आपको आपकी औकात बताये परन्तु अच्छाई बुराई को नहीं बदल सकता । 
* एक अच्छी सोच ही बड़ा बनने  के लिए काफी है । 
* जीवन एक सफर है ,और ज़िन्दगी एक मंजिल जब हम अपने मंजिल पर पहुंचे तो हमें रस्ते पर मुड़कर देखने पर अफसोस न हो ,जिससे हमारे रास्ते  पर कांटे न बिखरे पड़े हो , जो हमारे लिए ही नहीं दुसरो के लिए भी गर्व की बात हो । 
* एक वृक्ष की ताकत है ,उससे जुड़े पत्ते ,जितने ज्यादा पत्ते उतना शक्तिशाली वृक्ष , एक शासक  की ताक़त है उससे जुडी जनता जितनी बड़ी जनता उतना शक्तिशाली शासक । 
*व्यक्तित्व व धन से अच्छा , अच्छाई को अहमियत दे । अच्छाई से हाथ मिलाये ।

 *आप केवल दोस्त रहेंगे तो फ्लॉप रहेंगे , काबिल रहेंगे तो कई दोस्त बनने आयेगे और कामयाब रहेंगे तो हर कोई दोस्त बनना चाहेगा अतः आज दोस्ती की कोई सही परिभाषा नहीं है ।
 *दिल में नेकी हो तो हर काम आसन  हो जाता है । 
* भारत एक मात्र ऐश देश है , जिसका सबकुछ बहुत अच्छा -अच्छा है , परन्तु विस्व में विकास  दर बहुत पीछे -पीछे है । 
* हमारी बातें हमारे व्यक्तित्व का आइना होती है । 
* किसी बात पर जल्दी निर्णय लेने की अपेक्षा थोड़ा इंतज़ार करे यह आपको एक नया द्रिस्टीकोण प्रदान करेगा ये सोचने में मदद करेगा । 
* गलत धारणाये रखने व बनाने वाले अपने को छोड़ सारी दुनिया में कमिया खोजते है । 
* दुसरो को गलत मूल्याङ्कन   करने वाले प्रमाणित होने वाले गलत व्यक्ति बन  जाते है । 
* काम ,क्रोध, मद, मोह, लोभ ,ईर्ष्या  आदि अनाआवस्यक विकार या इनकी चरमता पर मोक्ष हर हाल में नहीं प्राप्त होता । 

*  ध्यान रखो जहा तुम प्रेम जोड़ने जा रहे हो वहा कही ईर्ष्या न बैठी हो । 
* अच्छे लोग अच्छी बातो की तरफ ही जाते है । 
* जिसने अपने गलतियों को नजरअंदाज करना सीख लिया  वह तो जिन्दा रहेगा परन्तु उसका ज़मीर नहीं । 
* ह्रास हर व्यापारी का निकटतम सम्बन्धी है। । 
*  युगो बदल जाते है ,पर प्यार नहीं बदलता । 
*हम जीने आये है , मरने नहीं तभी तक जब तक अच्छे कार्य करे । 
* योगदान ऐसा शब्द है , जो इसे नकारता है वह दुनिया का सबसे घमंडी के साथ सबसे बड़ा मुर्ख भी है। 
* बिना समस्याओ को सुने समाधान बेमानी होगा । 
* जोगी ,भोगी ,रोगी तीनो समर्पित है परन्तु अपने अपने तरीके से । 
* सफल और असफल में अंतर सफल व्यक्ति किसी की नक़ल नहीं करता,परन्तु असफल व्यक्ति सफल की नकल करने की सोचता है ,साधारण व्यक्ति सफल बनने की नहीं सोचता । 
* दुसरो की मौत सोचने वाले या मारने वाले ये भूल जाते है एक दिन उन्हें भी मरना  है । 
*कोई एक आविष्कार करता है-व्यक्ति समूह उसे बनता है -तमाम लोग उसे सीखते है -असंख्य या लाखो लोग उसका लाभ लेते है-अतः विज्ञानं व तकनीक आज की विकास शीलता की कुंजी है ।

*देश के विकाश के लिए प्रगति व अच्छाई हेतु किसी के पास कोई जादुई  क्षड़ी नहीं है यह तभी संभव है जब हम नागरिक जिम्मेदार ,सजग ,सतर्क,व कर्तव्यपरायण हो अन्यथा देश एक ही स्थान पर ठहरे हुए व्यक्ति के सामान होगा । 
*भारत ऐसा देश है जहा धर्म के नाम पर कुछ भी संभव है , लाखो करोडो लोगो की भींड व पैसे भी मिनटों में जुट जायेगे परन्तु भुकमरी व बेरोजगारी के लिए मुस्किल से कोई झाँकने भी जाता है । 
* सफलता की राहो  में तुम पर आरोप बहुत लगेंगे परन्तु उनकी सुनना मत । 
* चुनौतियों का सामना करो घबड़ाने या भागने से ये दोगुनी फिर तिनगुनी बड़ी होती रहेगी ।
 * दुसरो के धर्मो का विरोध ,तिरस्कार करने वालो का सच मानिये कोई धर्म नहीं होता ॥ 
* एक धारणा बना कर नहीं चलना चाहिये । 
*कार्य न होने पर सरल आसान कार्य भी कठिन हो जाता है । 
* अत्यधिक प्यार लड़ने की चुनौती ख़त्म कर देता है । 
*लालच क्षण भर की खुसी है ,तत्पश्चात पाप से बोझिल होती है । 
* इस संसार में कितने प्रकारके  स्वाभाव के मनुष्य होते है ,यह तो नहीं पता पर जितने प्रकार के पेंड पौधे वनस्पतियाँ है उतने प्रकार के विस्व में मानव हो सकते है , कुछ हानिप्रद ,कुछ लाभ प्रद , कुछ सुन्दर तो कुछ कौतुक पूर्ण तो कुछ निरर्थक कुछ भरण पालन पोसण करने वाली अर्थात उपरोक्त परिभाषा ही विश्वरूपम है । 

*सीमा या दायरे से परे जाने से कुछ भी सही नहीं होता ,नदिया वर्षा में सीमा से पार होती है तो सभी उनसे दूर हो जाते है , बादल सीमा से पार जाते है तो फसले नस्ट हो जाती है , जल प्लावन हो जाता है , अधिक सुखा भी अकाल बन जाता है ,हवा भी अपनी सीमा तोड़ती है तो अांधी से तबाही होने लगती है ,समुद्र अपना दायरा तोड़ता है तो सुनामी आ जाती है , अतः अपनी गरिमा ही सार्थकता व पहचान है ।
*जो मातृभाषा ही न जाने वो ,अंग्रेजी क्या जानेगा अतः थोड़े ज्ञान पर घमंड हसयप्रद है । 
*चुप रहने से ये मतलब नहीं की व्यक्ति देख ,सुन, व समझ नहीं रहा है या सकता । 
* गलत व्यक्तियों को प्रमाण पत्र की जरुरत नहीं होती ।
 *क्रोध आपकी तपस्या भंग कर मुस्कुराते हुए लौट जाता है । 
*क्रोध पर विजय पश्चात रास्ते  बिना कांटो के हो जाते है । 
* परोपकार के दाने ही सायद रत्न बन जाते है , जैसे हिरा ,मोती, पन्ना ,लाल आदि 
*एक व्यक्ति स्वयं में निर्णय अंतर करना जानता  है ,अतः  आप उसे सिखाये ,दबाब डाले निंदा करे तो आप मुर्ख है । 
*हम हिन्दु ,पत्थरो की पूजा नहीं करते ,हम उनमे बसने  वाले अडिग सिद्धांतो ,वसूलो , व पीछे छोड़ गए रास्तो की पूजा करते है । 
लेखक;-विचारक....... रविकान्त यादव  join me on facebook.com/ravikantyadava 





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