Tuesday, January 25, 2011

हमारी विविधता और विवसता






यदि हम है तो समस्या है ,समस्या है ,तो जनता है ,जनता है तो  हल है ,हल है तो विकास  है ,विकास  है तो हम और समाज है ,
असमंजस का एक ही हल है ,समस्या का पोल करावो magzine से लेकर अखबार तक पोल करावो और परिणाम से नतीजे तक पहुचो ,हमारा देश एक ट्राली है ,जिसमे सभी साथ बैठे है ,पर उस ट्राली के सभी पहिये अलग -अलग वाली स्थिति होती है ,चलो पर सभी साथ तो है ,
एक बार दो व्यक्ति कार्य कर रहे थे ,एक गड्ढा खोदता दूसरा उसे पाट देता ,मैंने जाकर पुछा ,भाई साब आप क्या कर रहे है ,तो दूसरा बोला हम अपनी ड्यूटी कर रहे है , तो मैंने पुछा कैसी ड्यूटी ?तो उसने कहा मेरा काम है ,गड्डा खोदना ,इसका कार्य है ,ढकना और जो तीसरा नहीं आया है ,उसका कार्य था ,पौधे रखना ,वह नहीं आया है तो ,क्या हम काम चोरी करे ,और अपनी ड्यूटी न करे !?
हमारे देश में सभ्यता ,संस्कृति ,परंपरा ,विरासत के आलावा और कुछ है ,तो विश्व में सबसे अधिक फिल्मे बनती है ,जो समाज का आइना है ,परन्तु सायद हमारे देश में निकम्मे ज्यादा है ,जिनके लिए ये फिल्मे बनती है ,
या कुछ अच्छा हो ,और सबसे अधिक संगीत बनता है ,जो हमारी कलात्मकता और रचना धर्मिता को दर्शाता है ,जहा संगीत नहीं वहा प्यार नहीं होगा ,
जो गर्व की बात है ,हमारे देश में गरीबी कही कही ऐसी है ,की कुछ लोगो की आखिरी इच्छा ,एक बार मिठाई ,काजू ,बादाम ,खाने की ,एक बार हवाई जहाज से घुमने की ,अपना स्वयं का टी .वी लेने की ,शहर घुमने की और विदेश कैसा होगा आदि आदि  तो आप ही बतावो क्या करे एक पीपली लाइव और बनावो और भेज दो ओस्कर  के लिए .......

लेखक ;-राह में चलते हुए
रविकांत यादव ,एम्.कॉम २०१०
मेरा दूसरा ब्लॉग भी देखे ;-indianthefriendofnation .blogspot .com

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