Friday, April 1, 2011

नरभक्षी मसखरे मच्छर

 

आज १ अप्रैल है , यानि बेवकूफ बनाने का दिवस , मुर्ख दिवस ,इसे होली हुडदंग और बुढवा मंगल से उपजी मस्ती के अगली कड़ी के रूप में देखा -जोड़ा जा सकता है ,आज के दिन हम अपने प्रति दुसरो की भावनावो को और अपने दिल के गुबार -भड़ास को अन्य तरीके झूठ का सहारा लेकर ब्यक्त कर सकते है ,पर बेवजह परेसान करना ठीक नहीं ,एक गरिमा तक ही यह ठीक है , शेर आया शेर आया वाली कहानी की अवधारणा न बनने पाए ,|


एक बार मै ,रात में सो रहा था ,मौका ताड़ कर दो चार मच्छर दावत उडाने लगे , मैंने पुछा कमीनो क्यों काट रहे हो ,मेरी भी कमजोरी समझो ,चलो भागो यहाँ से ,
तब एक ने कहा हम आपके कस्ट भोगी और आपके दिए दर्द भोगी है ,मैंने कहा दर्द और खून पीकर बदला ले रहे हो क्या ,? तभी दुसरे मच्छर ने कहा हम आपके रिश्तेदार होते है ,| तभी तीसरे ने कहा दरसल हम चापलूसी मच्छर होते है , व्यक्ति के ब्लड टेस्ट से उसकी अच्छाई ,कमीनगी की खबर भगवान को बता देते है ,मैंने पुछा तो फिर मलेरिया ,डेंगू ,चिकेन गुनिया ,फैलेरिया ,आदि रोग क्यों फैलाते हो ,|
तो एक ने कहा दरसल कमीने आलम में कमीनो के लिए कमीना बनकर ही सजा दी जाती है ,और हम मच्छर समुदाय समाज ने ग्रेड भी तय कर रखा है ,मैंने कहा प्लीज़ मुझे मत काटो मेरा खून कम हो जायेगा ,तो एक ने कहा यही दोस्त यही प्यार बीच में एक खून की दिवार हम तो आपके दोस्त यार है ,सो कभी -कभी कमीने संसार  में दोस्ती को खून की कसम देकर परखते है ,|
मैंने भी पंखा चलाकर गुड नाईट  बोलकर सो गया , तो एक मेरे कान के पास आकर बोला ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेगे ,मैंने भी बिस्तर में मूह छिपाकर कहा ,अरे तूम मच्छरों का भी कोई ईमान धरम होता है की नहीं ,तो एक बोला हमारा धर्म सच्ची दोस्ती है ,तो मैंने कहा ठहरो अभी गुड night गब्बर को बुलाता हु ,|




तो एक ने बोला जय तुम्हारा सिक्का ही नकली है ,गब्बर कुछ नहीं कर सकता ,हम नए ज़माने के मच्छर है , फिर अंदाज़ वो क्यों पुराना ,?? और रही बात गुड night गब्बर की वो वही पुराने वाले है ,मैंने पुछा दोस्तों ,दोस्ती के नाम पर बतावो क्या प्लान बनाकर काटते हो तो एक ने कहा हम मौका देखकर मार काट मचा कर लूट लेते है ,


लेखक ;- मच्छरों के आतंक से त्रस्त
रविकांत ...यादव ....एम् कॉम २०१० 

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