एक शराबी था ,शराबी था नहीं पर शराब उसे बुला लेती थी ,वह रोज कहता बस कल से नहीं पीयूगा ,लेकिन गाहे बजाहे पी आता था ,ढलती उम्र थी बच्चे घरवाले कहते पीना छोडो तो वह रकवा कहता तुम लोगो के लिए ही पीता हु ,तुम लोग मुझे भुला दो और मै तुम लोगो को क्यों कि तुम लोगो का पैसा कम हो रहा है ,मेरे मरने कि दुआ करो ,जमाना पूछता आप अच्छे खासे है ,फिर पीते क्यों है ,वह रकवा कहता पिने से थोडा आराम मिल जाता है ,| अच्छा खासा सम्मान था उस शराबी का पर पीकर लोटने से उसे सारी इज्जत हवा हो गयी एक दोस्त ने पुछा पीते क्यों हो ,तो उसने कहा लगता है ,देवदास फिल्म और मधुशाला कविता का असर हो गया है ,यार , कोई साथी इससे ज्यादा वफादार नहीं हो सकता इसलिए पीता हू, ये शराब दुनिया का राजा बना देती है ,रकवा रोज शराब पीकर जिस रास्ते से गुजरता अक्सर दो चार बच्चे उससे आनंद लेते कोई रकवा कि लंगोटी धोती खीच देता तो कोई धुल फ़ेंक देता तरह -तरह से बच्चे उसे परेशान करते ,वह भी मानो बच्चो के बिना बेचैनी महसूस करता ,आज पीकर लोट रहा था ,पर कोई बच्चा दिख नहीं रहा था ,उसने लोटे -लोटे एक बच्चे से पुछा वो छोटका कहा है ,तो उसने कहा उसका एक्सीडेंट हो गया अस्पताल में है ,छोटका एक गरीब घर का बच्चा था , उस शराबी का सारा नशा हिरन हो गया ,भागे -भागे अस्पताल पहुचा खून दान की आवश्यकता थी ,उसने सारा खून दान में दे दिया ,डॉक्टर आ कर देखते है, तो वह शराबी अकड़ा पड़ा था ,और उसके मुट्ठी में एक अंग्रेजी में लिखी पर्ची पड़ी थी ,जिस पर लिखा था , मै अपना शरिर भी दान दे रहा हू ,पर आश्चर्य और राज की बात कि शराब ने कभी नशा नहीं किया , हा कुछ रिश्ते जरूर बन गए थे ,|इस तरह वह शराबी अमर शराबी बन गया ,|
जो काम हवाये लहरों के साथ करती है ,दर्द ठीक उसी प्रकार लहरों की तरह हमारे अंतर्मन दिल में ज्वार की तरह उठता रहता है ,उन हवावो की दिशा तो मालूम किया जा सकता है ,| पर उनका कोई अता- पता नहीं होता शायद ये हवाये भी हमारे दर्द की तरह हलचल से ही उत्पन्न होती है ,|
जीते तो सभी है ,पर जीवन को सार्थक करना ही जिंदगी का दुसरा नाम है ,|
एक शराबी के लिए ....
पीने वाले तो सिर्फ शराबी होते है ,
जीने वाले तो नबाबी होते है ,|
जिंदगी के नशे के कबाबी होते है ,
बिना पीये ही हर समय नशे के जबाबी होते है ||
एक अन्य शराबी के लिए ....
जीना है ,तो पीना है ,
क्यों की समाज बड़ा कमीना है ,|
चढ़ गयी तो हिना है ,वरना फिर से पीना है ,
क्यों की जिंदगी खून पसीना है ,
इस शराबी के लिए संगीत ऊपर है ,
लेखक ;- इनके साथी .........रविकांत यादव एम् .कॉम २०१०
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