Tuesday, June 28, 2011

पल्लव -पंखुड़िया


धीरे -धीरे रात बीती और सूरज की लालिमा ने अपना विस्तार किया चिडियों की चहचाहट के साथ बढ़ती सूरज की किरणों के साथ नयी कलियों और नयी पत्तियों ने अपना आगाज किया नयी पत्तियों की चमक और नयी कलियों की खुशबू से जली भुनी पुराने फूल और पीली और पुरानी पत्तियों से रहा न गया ,उन्होंने कहा तुम लोग तो अभी अभी  इस दुनिया आये हो ,हमारे सामने तुम्हारी कोई  औकात नहीं , ज्यादा इतराओगे तो किसी  की बुरी नज़र लग जाएगी , तोड़ लिए जावोगे ,|






                                      
           




तब नयी कलियों और ने पत्तियों में से एक ने कहा बेशक आपके सामने हमारी कोई विसात नहीं पर कल को आप इन टहनियों से बिखर जायेगे  तो आप की विरासत कौन संभालेगा यदि हमारा उद्भव न हो तो आप का भी कोई औचित्य नहीं रह जायेगा क्यों की आप भी हम में से ही  कभी एक थे ,| और रही बात तोड़ लिए जाने की तो हमारा जीवन सार्थक हो जायेगा व्यर्थ नहीं ..|अब पुराने फूल पत्तो को अपनी सोच , संदेह ,गलतियों का अपने बड़े होने के अहंकार ,झूठे ,मान सम्मान पर पछतावा हो रहा था |, उन्होंने सुबह की मंद -मंद हवा में झूमते हुए ,खुशी से बाहे फैलाकर अपने होने वाले     वंशजो का स्वागत किया और अपनी वास्तविक महानता का परिचय दिया |

इन फूल -पत्तो और परिवर्तन के लिए ...
बसंत को फूलो ने साथ दिया ,
फूल फरेबी बिखर गए तो पत्तो ने इन्साफ किया ,|
पत्तो ने दामन छोड़ा तो पेंड -पौधों ने फरियाद किया ,
कुदरत का करिश्मा फिर वही पेंड -पौधों ने कहा जा मैंने तुझे माफ़ किया |
मोर और चोर में यही अंतर है ,एक मन  चुराता है ,दूसरा धन  ,सदियों युगों से सभी समान होता है ,पर पात्र अलग -अलग होते है, स्वरुप और जगह बदल जाती है ,|इस ज़िन्दगी में जब तक हमारे अनुसार होता है , ये दुनिया बड़ी अच्छी लगती है पर जहा दिल को ,अपेक्षा को चोट लगती है ,सुहाने सपने टूटते है ,| पल भर में वर्षो की खुशिया प्रेम सदा का दर्द बन जाता है ,जो गुजर जाने के बाद भी आइना भी देखने पर दर्द का निशान साफ़ झलकता है ,|
इस दुनिया में अपने आप को साबित करना प्राथमिकता है ,| पर उसे बनाये रखना और हर नयी चुनौतियों को स्वीकार करना और अच्छा व्यक्ति बनने की कोशिश करना ही प्यार और पहचान है ,|
मेरा शायद शिक्षा समय ख़त्म मेरे शिक्षा समय के प्रेरणाश्रोत , व्यक्ति  ;- अमित सिंह (कंप्यूटर शिक्षक ) जय सिंह (खेल शिक्षक ) संदीप सिंह (प्रधानाचार्य )  respected  एन . के , सिंह (वाणिज्य शिक्षक ) 

इसी कहानी की नवीनता के लिए अपने पाठको के लिए ऊपर संगीत भी  प्रस्तुत है ,|


































मेरा उपवास का फोटो 

लेखक ;- बागवान ...रविकान्त यादव  एम् .कॉम २०१० ....

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