Saturday, October 20, 2012

दिल का रक्षक

चीन एशिया ही नहीं पुरे विश्व की महाशक्ति लगभग बनकर उभर रहा है , इसका जीता जागता प्रमाण ओलंपिक खेल है ,| भारत और चीन के आज़ादी में बहुत फर्क नहीं है , फिर भी भारत ,चीन से हर क्षेत्र में बहुत पीछे है , |

यह कहानी भारत और चीन के बीच आज के ही दिन १९६२ के युद्ध की है ,|


भारत और चीन के रिस्तो में खटास थी ,भारत अपने आज़ादी के लड़ाई से उबर ही रहा था कि , चीनियों ने अपनी बुरी नजर भारत के ऊपर उड़ेल दी , भारत के दावों और रिश्तो से इंकार कर अपनी हनक और श्रेष्ठता साबित करना चाहा , धीरे धीरे दोनों देशो ने एक दुसरे के मंसूबो को भाप लिया , स्थानीय सैनिको का जमावड़ा होने लगा , चूँकि दोनों देशो के भाषा में अंतर था ,इसलिए उग्रता बढती चली गयी , |
दोनों ओर से सैनिक आमने -सामने आ गए ,इतने की दोनों एक दुसरे को अच्छी तरह देख  सके , भारतीय कमांडर ने समझदारी दिखाते हुए ,चीनी सैनिक प्रमुख के सामने अपने देश की मिट्टी को मुट्ठी में उठाकर दिखाया  कि यह हमारे देश की जमीं है |, जबाब में चीनी प्रमुख ने यही उत्तर दिया , दोनों तरफ घंटो से गहमा गहमी चल ही रही थी ,की चीनी सैनिको में से एक ने भारतीयों की तरफ पत्थर उछाल दिया , जवानों का खून उबाल मारा और और बंदूके गरजने लगी , भारतीय सैनिको की अधिकतर बंदूके धोखा देने लगी , तमाम भारतीय सैनिक मारे गए  , तमाम बंधक बना लिए गए , |एक भारतीय जवान ने आगे निकल कर वीर गति के लिए फायर किया तो फिर वही हस्र , ठण्ड के बोझ को भारत की बंदूके संभाल नहीं पा रही थी , ऊपर से तकनीक भी पुरानी थी , इस बार भी बन्दूक दो चार फायर बाद धोखा  देने लगी , चीनी सैनिको ने भारतीयों को बंधक बनाने के लिए घेरा बंदी किया , इस पर वह अकेला जवान छलावा देकर घेरा तोड़कर भागने लगा , चीनियो ने उसे जिन्दा वापस न जाने देने के इरादा कर उसे दौड़ाने लगे , चीनियों ने उसे निशाना लगाते , दौडाते-घेरते एक पथरीले,  झाड़ियो वाले स्थान पर घेर लिया , चारो तरफ से घिरे  होने के बाद भारतीय कमांडर मुस्कुरा उठा , चीनी कुछ समझ नहीं पाए , जवान बार -बार अपना हाथ पत्थर की तरफ ले जाता और फिर हटा लेता , चीनियों ने उसे पैर पर गोली मार दी , और बंधक बनाना चाहा परन्तु भारतीय कमांडर ने अपने पिस्तौल से खुद को गोली मार ली , चीनी जवानों का दल आगे  आया 
और उसके हाथ के नीचे देखा तो पाया वह, बैटरी युक्त बारूदी लैंड माइन था ,|

वो सभी सन्न रह गए , क्यों की वो सभी बारूदी बिस्फोट के ऊपर  खड़े  थे |, उसके बाद चीनियों ने बंदी भारतीयों को धक्के मार कर रिहा कर दिया और फिर उस क्षेत्र को भारत , चीन, सीमा का बार्डर निर्धारित कर दिया जाता है ,|


                                        लेखक ;- जज्बा बार्डर, देशभक्ति का .......रविकांत यादव

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