एक बार एक ऋषि जंगल से गुजर रहे थे ,तो उन्होंने देखा तीन व्यक्ति आपस में लड़ रहे है ।
ऋषि ने वहा जाकर पूछा तो पता चला तीनो , भूतकाल , भविष्य और वर्तमान काल है ।
जो अपने को बड़ा साबित करना चाह रहे है ,।
तब उन्होंने ऋषि को विवाद हल करने को कहा। ……
तब ऋषि ने उनसे बारी बारी समय देने को साथ बिताने को कहा। … पहले भूत काल उन्हें साथ लेकर जंगल घुमाने चलता है ,।
उसे जंगल के खतरों का ज्ञान था , कहा कौन फल होंगे उसे ज्ञान था ,उसको ऋषि को खिलता है ,।
फिर उसके बाद वर्तमान के साथ ऋषि घूमने जाते है , । वह सारे समय ऋषि से लोभ व चालाकी वाली बात करता है ,व अपने को श्रेष्ठ कहने का निवेदन करता है ,।
तभी शेर आ जाता है.... वर्तमान ऋषि को भाग कर जान बचाने को कहता है। ।
फिर ऋषि भविष्य के साथ घूमने जाते है , तो भविष्य बोलता है , हे ऋषिवर जंगल में खतरा हो सकता है ।
अतः हमें अदृश्य होकर घूमना होगा , ।
अब ऋषि पुनः तीनो के साथ आते है ,। ऋषि भूत को ज्ञानी कहते है। . वर्तमान को सजग, स्वार्थी ।
और भविष्य को चालाक की संज्ञा देते है ।
इस प्रकार किसी भी मनुष्य का स्वार्थ ही उसका भूत व ,भविष्य निर्धारण करता है ।
वर्तमान का स्वार्थ दोनों कालो को प्रभावित करता है ।
वर्तमान विवेक, संयम ,ज्ञान के साथ कर्म करने को कहता है ,,अच्छा या बुरा कर्म ही हमारे भूत और भविष्य दोनों को प्रभावित करता है ।
हमारे जीवन में भूतकाल हमें ज्ञान, अनुभव,देता है । वर्तमान हमें अपनी कीमत पहचानने को कहता है ,और भविष्य हमें आगे की देखना सिखाता है , ठीक वाहन की तरह ।
लेखक;-वर्तमान के साथ। …रविकान्त यादव
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