बात करते है ,सन 20000 (बीस हज़ार )या पहले ही , सभी देशो के पास अपना-अपना परमाणु बम तो छोटे -छोटे देशो के पास है , तमाम देशो के पास कइयों हाइड्रोजन बम है , ।
किसी बात से नाराज़ आतंकवादी तथा इनके संरक्षक देश परमाणु बम फोड़ देते है , धीरे धीरे अन्य देश में गुटबाज़ी होती है , और पुरे ग्रह पर परमाणु बमो का हाइड्रोजन बमो का धमाका होने लगता है ।
छोटे छोटे देश तक अपने स्टॉक किये तमाम परमाणु बमो को जंग नहीं लगना देना चाहते , जहा यह गिरेंगे सेकंड के अंदर वहा के लोहा और पत्थर तक पिघल कर वाष्प बन जायेगे , परिणाम स्वरूप पृथ्वी भर रेडिएशन -रेडिओधर्मी विकिरण फ़ैल जाएगी , जिससे बचने के लिए बचे कुछ मानव धरती पर नीचे बंकर बनाकर रह रहे है , ।
कुछ जागरूक ,धनी लोग चाँद ,मंगल या अन्य ग्रह पर बस गए है । पृथ्वी पर हवा में खतरनाक विसैला विकिरण , खुले -जल विषैले हो गए है , । जो बचे फल-फसले है ,विकिरण युक्त हवा के संपर्क में आने पर जहरीले या मुरझा जाने वाले , । ओजोन परत पूरी तरह नस्ट हो चुकी है ,जिससे सूरज के धूप लगने पर ही तमाम रोग व चर्म कैंसर हो जा रहा है , ।
इस सन में विज्ञान तो चरम पर है , ठीक फिल्म star wars की तरह,।
फिर भी हवा ,पानी, भोजन के संक्रमण व शुद्ध न होने पर व्यक्ति 40 -50 साल ही जी पा रहे है , जल दोहन , बर्बादी से भूमिगत जल कही -कही ही बहुत गहराई पर मिल पा रहा है , हवा व फसले शुद्ध कही -कही ही पैदा हो पा रही है , वायुमंडल तहस -नहस हो चुका है , इसलिए तेजाबी बारिस भी होती है , ।
भूमि अपनी उपजाऊपन खो चुकी है । फसले -फल उत्पन्न करना आसान नहीं है ।
पूरी धरती पर विकिरण हवा होने से खुले में जीना दुश्वार है ,पृथ्वी की धुरी प्रभावित होने व अनियमितता के कारण वातावरण स्थिर नहीं है ,व खतरनाक है ।
विकिरण के प्रभाव से मानव मूल बनावट से विकृत हो चुका है , । मानव सभी संसाधनो का दोहन कर चूका है । पृथ्वी पर अब कुछ भी बचा नहीं है ,। विकल्पीय ऊर्जा हाइड्रोजन व गैस व सोलर आदि से काम चल पा रहा है ।
पशु -पक्षी , पेंड -पौधे , बनस्पतिया पूरी तरह समाप्त होने के कगार पर है ।
जो कुछ बचा है ,मनुस्य किसी तरह बची बनस्पतिया या बचे जानवर खाकर जिन्दा है , अब स्थिति पुनः पासाण युग वाली हो गयी है , ।
सच है , जो जहा से चलता है ,पुनः वही पहुंच जाता है , । वो कहते है ,न , कि जब भी पाप बढ़ेगा तो धरती का विनाश हो जायेगा अर्थात जब भी मानव अपनी सीमाओ से परे जाने की कोशिश करेगा तब-तब वह स्वयं अपनी बर्बादी का जिम्मेदार होगा ।
लेखक;-वापसी के साथ……रविकान्त यादव
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