Friday, July 17, 2015

भविष्य की पृथ्वी (earth future -again struggling on earth )


बात करते है ,सन 20000 (बीस हज़ार )या पहले ही , सभी देशो के पास अपना-अपना  परमाणु बम तो छोटे -छोटे देशो के पास है , तमाम देशो के पास कइयों हाइड्रोजन बम है , । 
किसी बात से नाराज़ आतंकवादी तथा इनके संरक्षक  देश परमाणु बम फोड़ देते है , धीरे धीरे अन्य देश में गुटबाज़ी होती है , और पुरे ग्रह  पर परमाणु बमो का हाइड्रोजन बमो का धमाका होने लगता है । 
छोटे छोटे देश तक अपने स्टॉक किये तमाम परमाणु बमो को जंग नहीं लगना देना  चाहते , जहा यह गिरेंगे सेकंड के अंदर वहा  के लोहा और पत्थर तक पिघल कर वाष्प बन जायेगे , परिणाम स्वरूप पृथ्वी भर रेडिएशन -रेडिओधर्मी विकिरण फ़ैल जाएगी , जिससे बचने के लिए बचे कुछ मानव धरती पर नीचे बंकर बनाकर रह रहे है , । 
कुछ जागरूक ,धनी लोग चाँद ,मंगल या अन्य ग्रह पर बस गए है । पृथ्वी पर हवा में खतरनाक विसैला विकिरण , खुले -जल विषैले हो गए है , । जो बचे फल-फसले है ,विकिरण युक्त हवा के संपर्क में आने पर जहरीले या मुरझा जाने वाले , ।  ओजोन परत पूरी तरह नस्ट हो चुकी है ,जिससे सूरज के धूप लगने पर ही  तमाम रोग व चर्म कैंसर हो जा रहा है , । 
इस सन में विज्ञान  तो चरम पर है , ठीक फिल्म star wars की तरह,। 


फिर भी हवा ,पानी, भोजन के  संक्रमण व शुद्ध न होने पर व्यक्ति 40 -50 साल ही जी पा रहे है , जल दोहन , बर्बादी से भूमिगत जल कही -कही ही बहुत गहराई पर मिल पा रहा है , हवा व फसले शुद्ध कही -कही ही पैदा हो पा  रही है , वायुमंडल तहस -नहस हो चुका है , इसलिए तेजाबी बारिस भी होती है , । 
भूमि अपनी उपजाऊपन खो चुकी है । फसले -फल उत्पन्न करना आसान नहीं है । 
पूरी धरती पर विकिरण हवा होने से खुले में जीना  दुश्वार  है ,पृथ्वी की धुरी प्रभावित होने  व अनियमितता के कारण वातावरण स्थिर नहीं है ,व खतरनाक है । 


विकिरण के प्रभाव से मानव मूल बनावट से विकृत हो चुका है , । मानव सभी संसाधनो का दोहन कर चूका है । पृथ्वी पर अब कुछ भी बचा नहीं है ,। विकल्पीय ऊर्जा हाइड्रोजन व गैस व सोलर आदि से काम चल पा रहा है । 
पशु -पक्षी , पेंड -पौधे , बनस्पतिया पूरी तरह समाप्त होने के कगार पर है । 
जो कुछ बचा है ,मनुस्य किसी तरह बची बनस्पतिया या बचे जानवर खाकर जिन्दा है , अब स्थिति पुनः पासाण  युग वाली हो गयी है , । 
सच है , जो जहा से चलता है ,पुनः वही पहुंच जाता है , । वो कहते है ,न , कि जब भी पाप बढ़ेगा तो धरती का विनाश हो जायेगा अर्थात जब  भी मानव अपनी सीमाओ से परे जाने की कोशिश करेगा तब-तब वह स्वयं अपनी बर्बादी का जिम्मेदार होगा । 
                                          लेखक;-वापसी के साथ……रविकान्त यादव 






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