Saturday, January 23, 2016

मेरे अमर विचार part 5 (my immortal thought my way and my world )

*आदर्श , मिशाल , मिशाल -,क्रांति, क्रांति-इतिहास और इतिहास सबक ,सबक- शिक्षा बन जाती है । 

*परिस्थितिया हमारी वास्तविक गुरु है , और कर्म हमारी परीक्षा । 

*ज्ञान , ताक़त  सही समय पर सही लोगो के लिए प्रयोग करना सर्वोत्तम है । 

*एक  थके और उदास चेहरे पर खुसी लाना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है , महानता पूछ कर नहीं आती अवसर बनाता है , परन्तु सदुपयोग ,विचार, ताक़त शक्ति, में जन  व जज दोनों की भागीदारी है । 

*यदि आपके साथ कुछ रुकता है तो वह स्वास्थ्य है , सो अपने स्वास्थ्य की देखभाल करे । 
* अपनी तरफ से अच्छा करने की कोसिस करना चाहिए बाकि भगवान पर छोड़ देना चाहिए । 


* सभी को अपनी कमजोरिया हदे मालूम होती है , और मै भी उनमे से एक हु और यह अच्छी बात है । 

*अपना मजाक बनवाना आसान बात नहीं होती । 


* जब आप किसी बिषय -सोच से परेशान हो तो तुरंत उससे जुडी सकारात्मक सोचे । 

* दुःख तो कही से भी आ टपकता है , फिर भी वही दुःख ,खुसी सांत्वना का जुड़ने का सूत्रधार बन जाता है । 

*एक सटीक कारोबारी या व्यवसायी वही है , जो साधारण वस्तु को भी विशेष अवसर पर विशेष बना कर बेच दे । 
*निर्माण में सौ साल लग सकते है , पर विनाश में सौ सेकंड भी नहीं । 

* अधर्म -धर्म पर भारी हो सकता है , पर उसे  हरा कर मिटा नहीं सकता । 

* झूठे इज्जत -प्रसिद्धि चाहने वाले, गंदे हथकंडे  अपनाने में कोई गुरेज नहीं करते । 

* जो सच्चाई से केवल अपने लिए डरते है , वो कायरो में कायर होते है । 

*ज्यादा सार्थक होगा दुनिया के शर्तो अनुसार जीयो । 

* नाकामयाबी परेशान करती है , वही कामयाबी हैरान । 

*अपनी जिंदगी आप आराम से जीये पर जिस दिन कोई विशेष दिन ,पर्व हो उस दिन जिंदगी आप को दुसरो के लिये प्रेरित करती है । 

* जिस तरह भूखा भोजन चाहता है , व उसका संग्रह रखता है , ठीक उसी प्रकार सतर्क चालाक व्यक्ति ज्ञान संग्रह करता है , ताकि समय पर इसका भव्य हित उपयोग हो । 

* अपना मूल्याङ्कन करने वाले मंजिल के करीब पहुंच जाते है । 

* सिखने को तत्पर को विशेष पढ़ने की जरुरत नहीं होती । 


* आज के युग में व्यापारी नजरो का भ्रम  उत्पन्न करते है । और नजरो को केवल अपने उत्पाद पर बाँध देते है ।इनके प्रचार प्रसार में केवल यही बेस्ट सर्वोत्तम होते है ,उपभोक्ता कुछ सोच नहीं पाता  और सरल विकल्प के रूप में इन्हे चुन लेता है । 

* अच्छाई तो सभी में होती है , पर पता न कैसे बुराई उन्ही पर भारी  हो जाती है । 

*लम्हों में जीना  ही दोस्ती की पहचान है । 

*उल्लुओ की पार्टी को ध्यान से देखना चाहिए क्या पता आप भी उनके जैसे हो । 

* निजी और अनदेखा स्वार्थ खतरनाक होता है । 

* लकीर का फ़क़ीर होने से कुछ नया आविष्कार नहीं आता । 

* तलाश और चाहत नहीं होती तो जिंदगी बेरंग होती । 

* बुरी संगत  में अच्छा भी दण्डित होता है । 

* समय से एक घंटा पूर्व पहुचने वाला ही कामयाब और सिखने में  सक्षम होता है , इन्हे दोहरा लाभ मिलता है , अतः ठीक ही कहा गया है , जल्दी का काम शैतान का । 

*जिस प्रकार संगीत में गायक या तो संगीत अनुसार गाता है ,या उसके अनुसार संगीत म्यूजिक बजता है , ठीक उसी प्रकार जिंदगी में व्यक्ति या तो अपने शर्तो पर जीता है , या सांसारिक शर्तो के साथ- साथ चलता है । 

* पढाई , कमाई , दवाई के अभाव में मनुष्य जीवन नीरस है । 

* खुश रहने के लिए ख़ुशी की तलाश जरुरी नहीं होती बल्कि खुसिया स्वयं में संचित होती है । 

* दुनिया क्या करती है , उसका अनुकरण उतना महत्वपूर्ण नहीं है , जितना की आप क्या करते है । 

* कार्य सफलता के लिए नियम बनाये जाते है , अतः उन्हें सार्थक होने तक देखा व परीक्षण किया जाये । 

* सपनो के अधिकतर उनके अपने पंख नहीं होते । 

* वादा  करने से अच्छा है उन्हें सार्थक करके दिखाना  ॥ 

* हिंदी स्वाभिमान की भाषा है । 
* जिस प्रकार एक भूखा दीन ,दान नहीं देता  ठीक उसी प्रकार दुर्जन स्वार्थी ज्ञान नहीं देते । 

* निभा कर दिखाना एक लक्ष्य का तब तक साथ रखना जब तक वह पूरा न हो । 

* रेत पर बुनियादे नहीं बनती । 

* दुसरो की मौत पर अपने जिन्दा होने का गुमान न करो क्यों की अगली पारी तुम्हारी है । 

* आज दो लोग बनाने वाले मिलेंगे तो बीस लोग आपको बिगाड़ने वाले मिलेंगे । 

* यदा कदा दुश्मन भी भूले -भटके काम आ जाते है । 

* जो बुरा हुआ उसे भुलाना आसान नहीं पर उसे भूलने से राहत जरूर मिलेगी , यहाँ अच्छा होना बड़ी बात है । 

* आँख , कान ,मुह  बताते है पहले सुनो समझो , फिर देखो  अंत में बोलो यही मानव सिद्धांत शिक्षा व ज्ञान है । 

* कोई भी शक्ति तभी तक अच्छी है जब तक वो दिमाग पर न चढ़े । 

*लगे रहना सीखना व भविष्य की सोचना आप को मंजिल के दरवाजे तक ले जाएगी । 

* सफलता अधिकांश दोनों तरफ से दुश्वारियां लेकर आती है , निजता समाप्त  । 

* हर मूड , उम्र और जीवन के लिए संगीत एक टॉनिक है । 

* किसी कार्य में दोस्त उतनी तेजी से नहीं आते जितने दुश्मन । 

* सोचते क्या हो , अच्छे के साथ अच्छा ही होगा , बुरा स्वयं बोता है स्वयं काटता है । 

* चमकता वही है ,जो घिसता है । 

*एकता कार्य को आसान और व्यक्ति को मजबूती प्रदान करती है । 

*बुरी  बातें सोचने से अच्छा है एक दो अच्छी बातें ही सोच लो ||

* तुम जो भी करो परन्तु यह जरुरु याद ध्यान रखना की तुम्हारी आत्मा की मौत न होने पाये |

* झूठ का कोई पाँव (आधार ) नहीं होता है , यह बात दर बात ऊपर उठता जाता है , पर पता न जाने कब धड़ाम से नीचे आ गिरे |

*सद्बुद्धि और सुवचन से बढ़कर कोई तप  नहीं |

*जिस प्रकार बिच्छू छूने पर डंक मार देता है ठीक उसी प्रकार  बुरे व्यक्ति लाख जतन  बाद भी बुरे ही रहेंगे |

* व्यक्ति की महानता उसके कामो ,कर्मो से बनती है , काम खत्म महानता ख़त्म |

*ये  सही नहीं है, वो सही नहीं है , आदि प्रश्नवाचक से ज्यादा अच्छा है , कि कम  से कम मै तो सही हु |

* माफ़ी मांगना अच्छी बात नहीं है , कोसिस हो ये नौबत ही न आये |

* गलत शक्तिया अच्छी को गलत रस्ते पर आने को मजबूर कर सकती है , पर अच्छे उन्हें नहीं , अच्छे लोग उन्हें दबाब मुक्त रखते है |

*साधु संत महात्मा होने, दिखने से अच्छा है , एक इंसान होना, नेकियों से निहित होना |

* हमें समय की सलाह माननी चाहिए |

*आज के समय में मदद उन्ही की करनी चाहिए जो इसके हक़दार हो व मदद मांगे |

* ज्ञान गिलास में रखा कोई शरबत या पानी नहीं है , जिसे झट से पी  जाया जा सके , ज्ञान एक बीज है , एक यात्रा है , एक तपस्या है |

*ज्ञान प्राप्ति के लिए विनम्र होना बहुत जरुरी है , यदि आप विनम्र नहीं है , तो ज्ञान के हकदार नहीं है , और यह आप नहीं सीख  सकते ||

* अच्छाई अगर दफ़न भी हो जाएगी तो वहा से एक पौधा उग आएगा परन्तु मै यह नहीं बता सकता वो पौधा या पेंड कौन सा होगा |

* कोई भी कार्य बड़ा , छोटा नहीं होता व निर्धारण नहीं करता व्यक्ति अपने विचारो व सिद्धांतो से बड़ा छोटा होता है , ये मुझे राजा हरिश्चंद्र व संत रविदास ने सिखाया है |

*गलत व्यक्ति जाले में उलझे मक्खी की तरह होते है , जितना छूटने के लिए हाथ पाँव मारते है ,उतना ही उलझते जाते है |

* ज्ञान और कर्म ,पैसा रेल की दो पटरिया है , उस पर चलने वाली रेल जीवन है , वही जुड़े डिब्बे सम्पूर्ण प्राथमिकताये है |

* कभी -कभी हमारी भावनाए हमारी इच्छाओ कर्तव्य पर भारी  पड जाती है |

* अगर आप प्रसिद्द होना चाहते है तो समाज और बच्चो के लिए अच्छा करे |

* पवित्रता केवल नाम ही काफी है , जैसे गंगा , पर आचरण पर , यह केवल अहसास की भी जरुरत नहीं है |

*महाभारत में देवराज इंद्र भेष बदल कर सूर्य पुत्र कर्ण  से उसका अजेय अद्वितीय कवच और कुण्डल मांगने जाते है , वे जानते थे कर्ण  महादानी है , उनके जाते ही कर्ण उन्हें पहचान जाता है , तब इंद्र कहते है , हे महावीर तुम मेरी असलियत जानते हुए भी अपने दिव्य कवच कुण्डल को शरीर से काटकर मुझे क्यों दे रहे हो , कर्ण  कहता है , दान देना  मेरा कर्तव्य है , इसके बावजूद यदि दान में लोभ  मिल जाये तो वह किसी योग्य नहीं रहता । 


*बोलो उतना ही जितना तुम स्वयं सुन सको । 

*जो व्यक्ति सही होगा वो दूसरे के उकसावे पर गलत नहीं होगा न दूसरे को अपने गलती का कारण बताएगा । 

*देश के विकास के लिए पैसे कम  व निष्ठा  ज्यादा खर्च करना पड़ेगा । 

*  सच्चाई स्वीकारने वाले ,गलती मानने वाले विरले ही होते है । 

* जीवन का मर्म, पाने  के लिए बहुत कुछ है , पर खोने के लिए कुछ नहीं । 
* गिराने वालो का तो जमाना है , ये बहुतायात है , परन्तु उठाकर गले लगाने वाले देवतुल्य हो जाते है । 

* अगर हम धर्म के मार्ग पर नहीं चल सकते तो कोसिस करने में क्या है । 

* कुछ दोस्त दीखते अच्छे है , बिलकुल नदी की तरह परन्तु कब नदी में स्थित मगरमच्छ बन कुछ पैर खीच ले  जाय यह बता पाना असंभव है । 

      लेखक;- विचारक....... रविकान्त  यादव join me on ;-facebook.com/ravikantyadava 

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