एक राजा थे , बड़े पराक्रमी व बड़े स्पस्टवादी समर्पित , उन्हें अपने प्रजा में जाना पसंद था , तथा साथ ही वह तरह -तरह के मणियो में रूचि रखते थे ।
इसमें तमाम मणियो की गुण अनुसार जानकारी होती थी ,जैसे ;- चंद्रमणि , नागमणि , कौस्तुभ मणि , श्यामंतक मणि, , नीलमणि, उलूक मणि, पारसमणि, इनमे एक बार उन्हें चन्द्र मणि की आवस्यकता पड़ी , सबसे परेशान वह चन्द्र देव का ध्यान करते है , चन्द्र देव आ जाते है , ? राजा उनसे चन्द्र मणि मांगते है ।चन्द्रदेव कहते है , हे राजन चन्द्र मणि आकाश में कल्प वृक्ष पर स्थापित है , ।
जाओ पहले हज़ार व्यक्तियों को लेकर आओ , जो तुमसे दिल और दिमाग से समर्पित हो , राजन वहा से चले जाते है , राजन के लिए यह कठिन नहीं था , राजा ने बड़ी आसानी से 900 व्यक्ति मिल जाते है , परन्तु 100 व्यक्तियों को वह बड़े मुश्किल राजी कर पाते है। राजन उन 100 व्यक्तियों को अपने क़र्ज़ से दबे होने का आग्रह कर बड़ी मुश्किल से चन्द्र मणि लाने के लिए राजी करता है ।
वो १०० लोग राजा की प्रजा थे ,तथा राजा के क़र्ज़ से उनके ऋणी थे , अतः वे सभी क़र्ज़ चुकाने की शर्त पर राजी हो जाते है , । राजा हज़ार व्यक्तियों को लेकर उन्हें तप अनुसार सीढ़ी मानकर चंद्रमणि कल्प वृक्ष से तोड़ लेता है ,।
परन्तु वापसी में लौटने पर उसे पता चलता है ,। सीढ़ी अधूरी है , वो 100 लोग अपना क़र्ज़ चूका कर चले जो गए थे, ।? अब राजा चन्द्र मणि पाने के वावजूद वहा सालो रुक कर रोने के सिवाय कुछ नहीं कर सकता था ।
लेखक;- रूके हुए ;- रविकान्त यादव
No comments:
Post a Comment