विश्व पर्यावरण 5 जून सारा विश्व मनाता है , परन्तु इसके लिए जो मानक और कार्य है ।
वो लगभग ३०% देश ही अपनाये हुए है ,। जरुरी मानक ;- जैसे एक सड़क तभी निर्मित हो proceed हो जब दाये ,बाये किनारे और divider के साथ तीनो जगह वृक्ष -पौधे लगे हो , ।
हर गाँव में हर वर्ष हर घर तीन पौधे राशन कार्ड की तरह मुफ्त फलदार पौधे बांटे जाय , । कहा कौन पौधे लगे इसका ध्यान हो , नदियों के किनारे न कटे इसलिए वहा भी उपउक्त पौधे लगे ,।
मैंने देखा एक सड़क प्रधान मंत्री योजाना के अंतर्गत बनी ,किनारे पौधे भी लगे कुछ दिन बाद कुछ पेंड ही लग पाये और उन्हें घेरने वाली ईंटे गाँव वाले उखाड़ कर लेते गए , पौधों के रोपण की क्या विधि , मानक और मौसम था , मुझे नहीं पता ,।
२) रासायनिक प्लास्टिक बंद हो व इसके विकल्प के रूप में कागज के थैले या मकई के दानो से बनने वाला प्लास्टिक आये या बने या दूसरे देश से मंगाए ,।
२) रासायनिक प्लास्टिक बंद हो व इसके विकल्प के रूप में कागज के थैले या मकई के दानो से बनने वाला प्लास्टिक आये या बने या दूसरे देश से मंगाए ,।
पौधे सूखने न पाये , तालाबों का पटाव रोके व इनका नवीनीकरण हो , ।
हर नदियों में मिलने वाले नालो का सोधन हो ,तभी नाले बने , ।
कारखानो के जल रसायन ,व धुवो का हल मिले व हल तलासने होगे , ।
ऊर्जा के लिए हवा ,जल , व सौर ऊर्जा व गैसो प्रयोग ज्यादा हो , या इन्हे बढ़ावा मिले ।
ऊर्जा के लिए हवा ,जल , व सौर ऊर्जा व गैसो प्रयोग ज्यादा हो , या इन्हे बढ़ावा मिले ।
विज्ञानं के योगदान वाले विकसित नस्ल के जैसे कलमी आदि पौधे सरकारी नर्सरियों में सभी पौधे लगभग निशुल्क मिले ,तथा इनका निशुल्क पौधों का राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार हो ताकि जनता जाने ।
जहा कूड़े फेंके जाते है , वहा वट वृक्ष या अन्य उपयुक्त पौधों का रोपड़ हो , ।
मित्र कीटो का पालन हो इनका ध्यान रखे , तमाम मित्र जन्तुओ की रक्षा हो जैसे केंचुये ,कछुए , गिद्ध ,अादि तमाम ।
वन विभागों आदि अन्य विभागों द्वारा उदासीनता रुके ख़त्म हो , व खुलकर कार्य हो क्योकि सनातन धर्म में ही नहीं हर जगह इनका बहुत अहमियत और उपयोग है ।
लेखक;- प्रकृति प्रेमी....... रविकान्त यादव
जहा कूड़े फेंके जाते है , वहा वट वृक्ष या अन्य उपयुक्त पौधों का रोपड़ हो , ।
मित्र कीटो का पालन हो इनका ध्यान रखे , तमाम मित्र जन्तुओ की रक्षा हो जैसे केंचुये ,कछुए , गिद्ध ,अादि तमाम ।
वन विभागों आदि अन्य विभागों द्वारा उदासीनता रुके ख़त्म हो , व खुलकर कार्य हो क्योकि सनातन धर्म में ही नहीं हर जगह इनका बहुत अहमियत और उपयोग है ।
लेखक;- प्रकृति प्रेमी....... रविकान्त यादव
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