Monday, December 21, 2015

जीत लो दुनिया (conqueror)

इतिहास में , पोरस, सिकंदर, (अलेक्जेंडर ) अशोक, नेपोलियन, हिटलर, तैमुर जैसे तमाम शासक योद्धा हुए , जो विश्व विजयी बनने  चले थे, बने भी ,। परन्तु जब उन्हें लगा की ये रास्ता गलत है ।
उनकी अंतरात्मा ने एक जगह जाकर उन्हें धिक्कारा  तो अंत समय तक वो पछताते रहे  , कि उन्हें कुछ नहीं मिला  की क्या कमाया ?, इस समय उन्हें एक बूढ़े व्यक्ति, बालक, निरीह जीव, आदि किसी की प्रेरणा ,बात उन्हें बदलने के लिए पर्याप्त थी ।

एक व्यक्ति जंगल से गुजर रहा था , उसने देखा एक शेर शावक अधमरी हालत में है ,पास जाकर देखा तो शेर के पैरो में कील धसी थी , उसने उसे निकाल दिया , बहुत दिनों बार राजा ने उसे कसी बात पर मृत्यु दंड दिया उसे भूखे शेर के सामने फेक दिया गया , आस्चर्य शेर ने उसे खाने से इंकार कर दिया , ये वही शेर था जिसे उस व्यक्ति ने कील निकाल  कर मदद किया था , राजा ने यह आस्चर्य देख उसे क्षमा दान दे दिया ।
विश्व विजेता क्या होना चाहिए ?, एक बालक की मासूम मुस्कान, एक भिखारी की दरिया दिली , दानवीरता ,
एक साधू की दिल पर दस्तक देने वाली संगीत,  सद्बुद्धि , कुछ लोगो के ढोल पर मस्त लयबद्ध कदम, एक गुरु का  आशीर्वाद, किसी के नेकी का ध्यान रखना , नेकी सीखना , पालन करना  बस यही बाते है , दुनिया जीतने  के लिए । 

अगर हम देखे तो तमाम ऐसे लोग हुए जो विश्व विजयी बने इनमे महात्मा गांधी , शेक्सपीअर , अल्फ्रेड नावेल, थॉमस अल्वा एडिसन, मार्कोनी, बेयर्ड , चार्ल्स  बेवेज  , सुकरात, अरस्तु, मदर टेरेसा, डा विन्ची , पिकासो, आइंस्टीन, कबीरदास, नास्त्रेदमस, अब्राहम लिंकन , कोलम्बस, बेंजामिनफ्रेंकलिन, डॉन ब्रेडमेन ,  मेजर ध्यानचंद, स्टेफेन हाकिंग ,रविन्द्र नाथ टैगोर,मार्क जुगरबर्ग,मेनका गांधी , आदि -आदि इनका बड़कपन इनकी उपलब्धियों से ज्यादा इनकी शालीनता में है ।
तो फिर  सोचना क्या ? हम आप बेबाक खुले दिल से दुनिया जीतने  चलते है ।
मुस्कराये व मुस्कान बांटे दरिया दिल हिम्मते  -मर्दा- तो  मदते  खुदा ।
लेखक;- दुनिया से  ....... रविकान्त यादव join me on facebook.com/ravikantyadava





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